हमारे शरीर में रक्त का विशेष महत्व है,हमारा रक्त निरंतर रुप से सारे शरीर में संचरण करता रहता है। रक्त संचरण का एक कार्य शरीर के एक पूरे संस्थान द्वारा होता है,इस संसथान या यंत्र को रक्त परिसंचरण तंत्र कहा जाता है। इस यंत्र का मुख्य केंद्र एवं मुख्यतम अंग हृदय है। हृदय ही अपनी शक्ती द्वारा हमारे शरीर में रक्त का संचार करता है तथा अशुध रक्त को शुध भी करता है।
रक्त परिसंचरण तंत्र का विवरण
शरीर के किसी भाग में चोट लग जाने पर निकलने वाला लाल रंग रुधिर है। जो वास्तव में हमारे जीवन का रस है,इसे रक्त तथा खून भी कहते हैं। रक्त हमारे शरीर के विभिन्न अवयवों को पोषक तत्व प्रदान करता है,तथा शरीर के अन्दर पाचन क्रिया के परिणाम स्वरूप उत्पन्न होने वाले वज्य पदार्थों शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है, रक्त का परिभ्रमण निरंतर पूरे शरीर में होता रहता है।
रुधिर का संगठन
सामान्य रूप से देखने पर रुधिर लाल रंग का दिखाई देता है, परन्तु सुक्ष्म दर्शि यंत्र से देखने पर ज्ञात होता है कि यह पीले रंग का तरल पदार्थ है जिसमें लाल तथा श्वेत रंग के अनेक छोटे छोटे कण तैरते रह्ते हैं पीले रंग का यहा तरल पदार्थ ( Plasma) कहलाता इसे रक्त वारि या जीव द्रव्य भी कहते है, रुधिर में इसकी मात्रा 60% होती है तथा पलाज्मा में 90%, जल एवं अन्य ठोस पदार्थ होते हैं रुधिर मे विद्यमान लाल तथा श्वेत कणों को रुधिर कनिकाएं कहते हैं ।
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