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हृदय का वजन कितना होता है?? और इसकी रचना कैसे होती है।Heart composition

 

Heart composition in Hindi 

हृदय शरीर का अन्यन्त विशिष्ठ अंग है। इसका कार्य शरीर मे रक्त का संचार करना है। हृदय ही रक्त को शरीर के विभिन्न अंग तक पहुँचाता है।जिससे ये जंग जिवित रहते है तथा अपना कार्य करने में सक्षम होते है दृश्य छाती की अस्थियों के मध्य पसलियों द्वारा बने हुए कोढर में दोनों फेफडों के बीच स्थित है द्वारा लाई और देता है । यह बक्ष स्थल के बायीं ओर झुका होता है। यह नाशपती के आकार का होता है। इसकी लम्बाई लगभग 13 CM चौड़ाई 9 CM तथा मोटाई लगभग 16CM होती है। इसका भार लगभग 300 ग्राम होता है।यह अनेच्छिक पेशियो से ढका रहता है। यह दोहरी पारदर्शक तथा द्र्वय से भरी हुई झिली के थेले से सुरक्षित रहता है। इस थैले को हृदय आवरण कहते हैं ।

हृदय के दाहिने भाग में अशुद्ध तथा बायें भाग मे शुद्ध रक्त रहता है। हृदय चार कोष्टी में विभक्त है। प्रत्येक पोर का ऊपरी भाग आलिन्द तथा नीचे का भाग निल्य कहलाता है। आलिन्द निल्य की अपेक्षा छोटा होता है  अविन्द शरीर के विभक्त भिन्ना भागों में आये रक्त को ग्रहण करते है, और निल्य आलिन्द से रुधिर लेकर शरीर के विभिन्न भागों में भेजते है।

मानव शरीर में परिसंचरण प्रक्रिया: Circulation process in human body:

हृदय रक्त परिसंचरण का मुख्य केंद्र बिन्दु है। इसे रक्त का pumping station भी कहा जाता है।यह केवल केंद्र स्थल है। जहाँ से कुछ रक्त समस्त शरीर में भेजा जा सकता है,और अशुध हुआ रक्त पुन: हृदय में वापिस आ जाता है। यहां से शुध रक्त फेफडों से भेज दिया जाता है,और फेफडों से शुध होकर पुन: हृदय में वापिस आकर समस्त शरीर में भ्रमण के लिए भेज दिया जाता है। रक्त की इस क्रिया को रक्त परिसंचरण कहते हैं। इस प्रक्रिया में रक्त को लगभग 25 सैकेण्ड का समय लगता है।


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