What is Silkworm, How does silkworm make silk रेशम का कीड़ा कैसे रेशम तैयार करता है?
रेशम कीट:-Silkworm:-
रेशम कीट एक ऐसा जीव है,जिस से हम रेशम प्राप्त करते हैं। यह सामान्यतः सफेद रंग का होता है। रेशम कीट की त्वचा बहुत नाजुक और मुलायम होती है। इनका जीवन चक्र 20 से 22 दिन का होता है। रेशम कीट की जो खास बात है,वह यह है कि इन्हे जिस स्थान पर रखा जाता है वे वहीं पर ही रहते हैं। इनके चलने की गती बहुत धीमी होती है। जिस पदार्थ को रेशम कीट अपने शरीर से मल के रूप में निकलते हैं उनका रंग काला होता है। रेशम कीट का सबसे बड़ा आकार 4 से 5 सेटिंमिटर का होता है।
Food Ingredient:- खाद्य पदार्थ:-
रेशम कीट का प्रमुख खाद्य पदार्थ शैहतूत के पते होते हैं। शैहतूत के पते के अलवा ये (चिमू) के पते भी खाते हैं। शैहतूत के पत्तों को चाकू की सहायता से छोटे छोटे टुकड़ों में कटकर रेशम कीट को दिया जाता है। जैसे जैसे रेशम कीट की वृध्दि होती है। शैहतूत के पत्तों का आकार भी बढ़ाया जाता है। रेशम कीट को दिन में 3 बार शैहतूत की पत्तियां दी जाती है, अर्थात सुबह, दोपहर और रात। जब रेशम कीट थोड़े बड़े हो जाते हैं तो उन्हें हर 5 घन्टे के बाद शैहतूत दिया जाता है।
आवास स्थान:- Silkworm habitat:-
रेशम कीट को जिस स्थान पर रखा जाता है वह समतल होना चाहिए। रेशम कीट के स्थान को बहुत साफ़ सुथरा रखना पड़ता है। इसलिए रेशम कीट के आवास स्थान पर स्वच्छता का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। आप रेशम कीट को खुले बॉक्स या फिर चारपाई पर रख सकते है। रेशम कीट को समतल जगह पर इसलिए रखा जाता है कि ताकी उन्हें खाने और सोने में तकलीफ ना हो। इसके साथ साथ इन्हें ठण्ड से बचाना पड़ता है क्युंकि ये इतने नाजुक होते हैं कि ये ठण्ड बर्दाशत ही नहीं कर पाते। इसलिए इनके आवास स्थान पर तापमान सामान्य होना बहुत जरूरी है।
इनका शरीर गर्म रखने के लिए इनको शेह्तूत के साथ कुछ मात्रा में चुना भी दिया जाता है ताकी ये हल्की फुल्की ठण्ड बर्दाशत कर सकें।
चुने से इनका शरीर गर्म तो रहता ही है और साथ में इनका शरीर साफ़ भी रहता है।
रेशम कीट से रेशम बनने का प्रक्रम:-The process of making silk from silkworm:-
रेशम कीट 22 से 25 दिनों में ही रेशम बना लेते हैं। रेशम कीट का सबसे बड़ा आकार 4 से 5 सेंटीमीटर का होता है। जब रेशम कीट अपने पुरे आकार में आ जाता है तो उसके बाद वह कुछ भी नहीं खाता और अपने सिर को ऊपर की दिशा में हिलाते रहते हैं। इसके बाद रेशम कीटों को छोटे छोटे वर्गाकार भागों में बांटते हैं तथा इन वर्गाकार भागों के चारों ओर सुखी झाडियां और बान (एक प्रकार का पेड़ जो हिमांचल में बहुत ज्यादा पाया जाता है) के वृक्षों की छोटे छोटे पत्तों वाली टहनियां रख दी जाती है। रेशम कीट इन झाडियों में जाता है और रेशम बनाने की तैयारी करता है। जिस समय रेशम कीट रेशम बनाने की तैयारी करते हैं,उस वक्त इनका रंग पिला हो जाता है। धीरे-धीरे रेशम कीट झाडियों पर लार छोड़ते हैं। जैसे-जैसे लार की मात्रा बढ़ती है, इनका आकार घटता जाता है। लार सुख कर सफेद रंग की जालीनुमा संरचना बनाते हैं और पुरे रेशम कीट को ढक लेते हैं, और एक ठोस अंडाकार संरचना बना लेते हैं। इस अंडाकार सरंचना को हिन्दी में कोकून कहते हैं।
इस कोकून को धुप में 5 से 6 दिन तक सुखाया जाता है। कोकून के अन्दर रेशम कीट का छोटा सा भाग अभी तक जीवित रहता है। जिसे बाहर निकालना आवशयक होता है। इसलिए कोकून को धूप में सुखाया जाता है। कोकून को सुखाने से वह नर्म हो जाता है तथा रेशम कीट कोकून पर एक छोटा सा छेद बना लेते हैं तथा वहाँ से बाहर निकल जाते हैं। इस समय इनका रूप एक तितली के समान होता है तथा वह इस छेद की मदद से बाहर निकल जाते हैं। कुछ एक कोकून में रेशम कीट मर जाते हैं जो धूप में सुख कर एक कठोर पदार्थ बन जाते हैं। जिसे बाहर निकाल दिया जाता है। कोकून को धूप में अच्छे से सुखाकर उससे फिर रेशम तैयार किया जाता है। इस्क्लिये इन्हें मशीन में डाला जाता है और इनकी मदद से हमें आसानी से रेशम का धागा प्राप्त हो जाता है।
अत: इस प्रकार हमें रेशम कीट से रेशम प्राप्त होता है। मैं आशा करता हूँ कि जो जानकारी मैने आपके साथ सांझा की, वो आपको पसंद आई होगी।🙋♂️
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