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ल्क्षय कैसे बनाएं? How to makes Goals in Hindi

ल्क्षय कैसे बनाएं? How to makes Goals in Hindi 


लक्ष्य कैसे बनाएं जब आप अपनी इच्छाओ को कागज पर लिखते हो तब क्या होता है, यह जानकर आप चौक जाओगे, और यह दुनिया के सबसे बड़े सिकरेटस में से एक है, जो आपके सपनों को पूरा कर सकता है और बहुत कम लोग इसके बारे में जानते हैं और आपको यह जरूर जानना चाहिए। ऐसी जादुई  फैक्ट्स जानने मिलेगी कि सुनकर रोंगटे खड़े हो जाएंगे। आप उसी goal को उसी इच्छा को पेपर पर लिखोगे जिसको लेकर आप सीरियस होंगे दिमाग के अंदर तो आप बहुत सारे इच्छाओं, गोल्स और मकसद के बारे में सोचते हो पर जिस इच्छा के लिए जिस मकसद के लिए आप कुछ भी करने के लिए तैयार हो आप उसी को राइट डाउन करोगे मतलब जिसके लिए आप बहुत सीरियस हो और जिस चीज के लिए आप सीरियस हो गए उसी चीज को पाने के लिए आपको आपका दिमाग एनर्जी देगा मतलब अपनी इच्छाओ को पेपर पर लिखने से आपका लॉजिकल दिमाग भी उसे सीरियस मानने लगता है और इससे एक साइकोलॉजिकल इफेक्ट होता है जिससे आपको इतनी एनर्जी और मोटिवेशन अपने आप ही अंदर से मिलने लगती है कि आप अनजाने में ही उस गोल को पूरा कर लोगे, पर सबसे पहली बात आपके अंदर एक गोल एक मकसद होना जरूरी है, चाहे वह क्लास में टॉप करना हो किसी एग्जाम को क्रैक करना हो, किसी जॉब को पाना हो या प्रमोशन पाना हो आपको गोल रखना चाहिए। पेपर में लिखना तो बाद की बात है पहले आप यह क्लियर करो कि आपको चाहिए क्या गोल के बारे में क्लियर रहो। नेपोलियन हिल जो एक बहुत बड़े अमेरिकन ऑथर हैं उन्होंने भी यह शेयर किया है कि जो लोग गोल सेटिंग करते हैं,यानी उन्हें क्या चाहिए। इसके बारे में वो क्लियर रहते हैं कि हां मुझे यह चाहिए। वह लोग जो चाहते हैं वह अपनी जिंदगी में अचीव कर लेते हैं,और दूसरे साइड वो लोग जिनको जिंदगी में क्या करना है यह पता ही नहीं है जो जस्ट कैजुअली जीते हैं, जैसे हैं,वैसे ही रह जाते हैं, और भी कई सारे रिसर्च में यह पता चला है।

अपने गोल्स को पेपर पर क्यूँ लिखना चाहिए?

आइए जानते हैं एक साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट:अपने गोल को पेपर में क्यों लिखना चाहिए। ये एक्सपेरिमेंट आपकी जिंदगी बदल देगा। डोमिनिकन यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के एक साइकोलॉजी प्रोफेसर है। उन्होंने गोल को पेपर पर लिखने के ऊपर बहुत सारे रिसर्च को किया है उनके एक्सपेरिमेंट में 267 लोगों को लिया गया था उसमें लड़का और लड़की दोनों को शामिल किया गया था और हर तरह के लोगों को लिया गया था स्टूडेंट्स ग्रैजुएट्स सबको लिया गया था उन 267 लोगों को दो भागों में बांटा गया। एक वो जो अपनी इच्छाओं को पेपर पर लिखते थे और दूसरे वह जो अपनी इच्छाओं को बस दिमाग में रखते थे आधे लोगों को यह कहा गया कि तुम लोगों की जो इच्छा है उसे एक पेपर पर लिखना और उस पेपर को हमेशा अपने डेस्क पर रखना ताकि रोज कम से कम एक बार तुम्हारी नजर उस पर पड़े ताकि तुम्हारे गोल्स तुम्हें हमेशा याद रहे और जो दूसरे ग्रुप के लोग थे उन्हें कहा गया कि तुम सिर्फ दिमाग में ही अपने गोल्स को हमेशा याद रखना। 

तो इसका यह रिजल्ट निकला, कि जो अपनी इच्छाओं को पेपर पर लिखते थे। उन्होने अपनी ज्यादातर इच्छाओ को पूरा कर लीया, और वह भी बहुत कम समय में और जो लोग नहीं लिखते थे उनमें से ज्यादातर लोग जैसे थे वैसे ही रह गए और मात्र एक ही पूरा कर पाए फाइनल रिजल्ट निकला वह भी पूरी तरह से साईंटीफीक्ली एप्रूवड की आपके 42% चांसेस बढ़ जाती है कि आप जो चाहते हो वो आप कर लोगे। अगर आपने उसे पेपर पर लिखना शुरु कर दिया तो पर ऐसा क्यों होता है, साइंटिफिक एक्सप्लैनेशन यानी वैज्ञानिक रीजन यह है कि जब आप किसी इच्छा गोल या मकसद को अपने दिमाग में ही रखते हो जैसे कि मुझे एक्जाम क्रैक करना है मुझे क्लास में टॉप करना है या फिर मुझे यह जॉब पाना है या फिर लाइफ पार्टनर पाना है तब इच्छाओं को सोते समय तब आप अपने अपने राइट ब्रेन, अपने दाएं हिस्से का इस्तेमाल करते हो आपका दाया ब्रेन इमेजीनेटिव होता है। इसलिए जब आप अपने सपने के बारे में सोचते हो तब आपका राइट ब्रेन सक्रिय हो जाता है, पर बात यह है कि आप अपनी इच्छाओं को तभी पूरा कर पाओगे आपको आपका दिमाग एनर्जी यानी ऊर्जा और मोटिवेशन तभी देगा जब आप अपने दिमाग का पूरा इस्तेमाल करोगे मतलब आपका दायाँ ब्रेन और बायां ब्रेन दोनों ऑन होगा तभी आप को फुल एनर्जी मिलेगी पर हमने अभी क्या देखा हमने भी यह देखा कि जब आप अपनी इच्छाओं के बारे में सोचते हो विजुलाइज करते हो मन में ही रखते हो तब आपका इमेजिनेटिव दायां ब्रेन यानी सिर्फ राइट ब्रेन ही ऑन होता है लेफ्ट ब्रेन को कोई मतलब नहीं होता पर जब आप अपनी इच्छाओं को लिखते हो पेपर पर जैसे ही लिखते हो तब आपका लॉजिकल ब्रेन यानी लेफ्ट ब्रेन यानी दिमाग का दूसरा पारट भी एक्टिवेट हो जाता है क्योंकि जब आप अपनी इच्छाओं और गोल्स को पेपर पर लिखोगे तो दिमाग को यह सिग्नल मिल जाता है कि ये सीरियस चीज है आपके लिए तभी तो आप इसे पेपर पर लिख रहे हो जैसा कि मैंने पहले बताया ऑल इन ऑल बात यह है कि आप अपनी इच्छाओं के बारे में सोचो तब राइट ब्रेन ऑन होगा और उसे कागज पर लिखो तब लेफ्ट ब्रेन ऑन होगा।

जब दोनों साथ मिलकर काम करेंगे तो आपको वो ऊर्जा और बुद्धि मिलेगी जो सामान्य लोगों को नहीं मिलती उनको नहीं मिलती जो अपनी इच्छाओं को कागज पर नहीं लिखते उनका ब्रेन उनकी इच्छाओं को सीरियस नहीं मानता और इसलिए उनका दिमाग उस रिक्वायर्ड एनर्जी उर्जा को प्रदान नहीं करता। सबसे मेन बात यह है कि आप में से बहुत सारे लोग ऐसे होंगे जिनके पास कोई गोल यानी मकसद नहीं होगा जिंदगी कैसी चल रही है वैसे चलने दो यह वाली थिंकिंग लेकर बहुत लोग जीते हैं पर ऐसी थिंकिंग से कुछ भी नहीं हासिल होगा तो उन एक्सपेरिमेंट से आपको यह सीखना चाहिए की गोल्स अगले कुछ सालों में आपको क्या करना है यह आपको तय करना चाहिए कि ये आपको क्लीयरली पता होना चाहिए कि आपका मकसद क्या है पहले गोलस त्यार करो तभी ना उसे पेपर पर लिखोगे। ज्यादातर इंसान बिना गोलस के चलते हैं पर आपको भेड़ चाल का हिस्सा नहीं बनना है आपको अलग बनना है बिना गोल्स ऐसी सोच वालों का दिमाग भी उनका साथ नहीं देता दिमाग तेज करने के टिप्स में एक टिप यह भी थी कि जिंदगी में गोल यानी मकसद रखना तभी आपका दिमाग आपको वह एनर्जी देगा जिससे आप अपने मकसद को पूरा कर पाओगे।

मक़सद रखो,इच्छा रखो क्लियर हो जाओ कि आपको क्या चाहिए, आपको साफ-साफ पता होना चाहिए, कि आपको क्या चाहिए, और उसे कागज पर लिखो ताकि दिमाग का लेफ्ट और राइट हेमिस्फीयर दोनों का इस्तेमाल हो। गोल्स को कागज पर लिखने से और एक फायदा यह है कि आपको वह अपॉर्चुनिटी यानी वह अवसर जिंदगी में दिखने लग जाएंगे जो आपको पहले नहीं दिखते थे क्योंकि यह गोल आपके लिए सीरियस है और आप इसे पाने के लिए कुछ भी कर सकते हो और आपका दिमाग भी इस बात को जानता है इसलिए आप उन अवसरों को देख पाओगे जो आप सामान्य तौर पर नहीं देख पाते हैं अगर आप कैजुअली जीते तो हुआ तो हुआ नहीं तो छोड़ इस मेंटालिटी को रखते तो यह मेंटालिटी जहर के समान काम करती हैं क्योंकि इसमें कुछ सीरियसनेस इनवोल्व्ड नहीं होता। पर जैसे कि मैंने बताया जैसे ही आप की गोल और इच्छा पेपर पर आएगी वैसे ही आप की मोटिवेशन में ऐसा बूस्ट आ जाएगा कि आप उसे पाकर ही दम लोगे और एक जरूरी बात यह है कि आपकी इच्छाएं और गोल्स दो तरह के होते हैं एक लॉन्ग टर्म और एक शॉर्ट टर्म लोंग टर्म उसे कहते हैं जो आप सालों के अंतराल में पाना चाहते हो ऐसा आपने डिसाइड किया कि मुझे कुछ बनना है पायलट डॉक्टर आईएएस ऑफिसर,क्योंकि आप बात करोगे, और दूसरा गोल होता है शॉर्ट टर्म जैसे अगले महीने मुझे एग्जाम में 90% करना है शॉर्ट टर्म गोल।

लॉन्ग टर्म गोल को एक अलग पेपर पर लिखो और शॉर्ट टर्म गोल को अलग पेपर पर लिखो। वेरी शॉर्ट टर्म गोल मतलब जो 1 दिन का रूटीन होता है उसे आप डेली लिख सकते हो रात को सोने से पहले कागज पर लिख दो कि कल सुबह उठने के बाद आप सबसे पहले एक स्माइल के साथ उठोगे फिर ग्रिटीट्यूड को एक्सप्रेस करोगे मतलब इस यूनिवर्स को इस ब्रह्मांड को उन चीजों के लिए थैंक्स बोलोगे जिन चीजों के लिए आप शुक्रगुजार हो यानी थैंकफूल हो। उसके थोड़ी देर बाद स्ट्रेचिंग करोगे और दिन भर के जितने काम आप करना चाहते हो उसे पेपर पर लिख कर अपने डेस्क पर या कोई ऐसी जगह पर रख दो जहां पर पल पल आपकी नजर पढ़ते रहे इससे आप अपना डेली काम भी अच्छे से कर पाओगे और रोज जो आप कागज पर लिखे हो।

जब अगले रात को सोने से पहले आप यह देखो कि वाह मैंने जो लिखा है। वह पूरा किया तो मन में एक सेन्स ऑफ़ फुलफिलमेंट आएगा और इसके चलते आप और एक्टिव, जिंदा और खुश महसूस करोगे डेली के कामों को तो देख लिया आपने पर लोंग टर्म गोल्स जिंदगी के बड़े मकसद भी उतनी ही जरूरी है और अगले 5 साल में जो कुछ भी हासिल करने की इच्छा रखते हो सबको लिख दो कागज पर अपने गोल्स को लिखो और देखते जाना कि आपके अंदर मोटिवेशन ऑटोमेटिकली ही आ जाएगी कागज पर अपने गोल्स को लिखो यह तो आज जान लिया आपने और एक इंपॉर्टेंट बात यह है कि आप अपनी इच्छाओं को अपने गोल्स को भूल कर भी किसी से मत बताना ज्यादातर लोगों का यही अनुभव रहा है कि जब वह अपने मकसद और आगे के प्लान के बारे में किसी को बताते हैं तब वो उस गोल को अचीव नहीं कर पाते। जब आपने किसी को बोल दिया कि आप यह काम करने जा रहे हो और जब आप किसी कारण के चलते उस काम को कर नहीं पाते तो एक डिप्रेसिंग फीलिंग आती है जब आप अपने दोस्त किसी भी फैमिली से बात करते हो और कोई पूछता है कि बेटा आगे का प्लान क्या है अब आप फ्लो फ्लो में ही बोल देते हो कि यह है मेरा प्लान।

अपने गोल्स दूसरों को ना बतायें

आपके मन में आ रहा होगा कि अगर मैं अपने गोल्स के बारे में दूसरों को बोलूंगा तो एक तरह से यह अच्छी चीज हुई ना  इस से मुझे और इनकरेजमेंट और प्रोत्साहन मिलेगी मैंने तो बता कर एक पब्लिक कमिटमेंट किया इसका मतलब मुझे मोटिवेशन मिलेगी तो फिर तुम क्यों बोल रहे हो कि अपने गोल्स के बारे में किसी को मत बताओ दोस्त जैसा आप सोच रहे हो वैसे आपकी थिंकिंग काम नहीं करती आपके फ्रेंड्स आप को भले ही कांग्रेटस करें कि वाह तुमने तो बढ़िया गोल सेट किया तुमने तो अच्छा गोल सेट किया अच्छा काम कर रहे हो पर 100 में से 95 गोल्स को आप पूरा नहीं कर पाओगे अगर आपने पब्लिक में बता दिया तो आप कहोगे पर कैसे इसके ऊपर भी बहुत सारे स्टडीज की गयी है।  प्रोफेसर पीटर की स्टडी सबसे ज्यादा इंटरेस्टिंग है।163 लोगों को लिया गया उसके बाद उनमें से आधे लोगों को यह कहा गया कि तुम अपने गोल्स को दूसरों को बता सकते हो और बाकी आधे लोगों को अपने गोल्स को अपने मन में ही रखने को कहा गया शुरू शुरू में जिन्होंने अपने मकसद के बारे में खुलकर बताया उन लोगों ने यह कहा कि वह बहुत कॉन्फिडेंट महसूस कर रहे हैं और उन्हें यह लग रहा है कि वह अपना गोल  अचीव कर लेंगे। उसके बाद उन सारे लोगों को एक 45 मिनट का काम दिया गया जो कि उनको उनके गोल्स के करीब ले जाएगा उन्हें यह कहा गया कि 45 मिनट तक तुम कुछ भी कर सकते हो जो तुम्हें तुम्हारे गोल के करीब ले जाएगा अगर तुम्हारा गोल टॉप करना है तो 45 मिनट तक पढ़ो अगर अगले हफ्ते सिंगिंग कंपटीशन में फर्स्ट आना है तो गाना गाने का प्रेक्टिस करो 43 मिनट तक। सब को एक रूंम दे दिया गया इसमें अपना काम 45 मिनट तक कर सकते हो और सभी लोगों को यह कहा गया बीच में कभी भी रुक सकते हैं जब उन्हें मन करें वह काम छोड़ सकते हैं इस एक्सपेरिमेंट का रिजल्ट ये निकला की जो लोग अपने गोल के बारे में ढिंढोरा नहीं पीटते थे। वह लोग पूरे 45 मिनट तक अपने काम को कर पाए।जिन लोगों को पब्लिक में सबको अपने गोल्स बताने की आदत थी।वह सिर्फ 33 मिनट के बाद ही काम को छोड़ दिए। साइंस ये कहती है कि जब आप अपने मकसद और गुण को बताते हो तब आपके दिमाग में एक फेक फिलिंग ऑफ अचीवमेंट आती है। आपके दिमाग को ऐसा लगने लगता है जैसे आपने उस गोल को पूरा कर लिया। पब्लिक जो आपको कांग्रेचुलेट करती है। आप अपने को गोल्स के बारे में बातचीत करते हो उससे आप के ब्रेन में डोपामिन केमिकल निकलता है और आपके दिमाग को यह लगने लगता है कि आप उस गोल को पूरा करने के लिए स्टेप ले चुके हो। पर सही में आपने कुछ भी नहीं किया सिर्फ दोस्तों को बताया ही तो है तो ऐसे आपका दिमाग काम करता है और इसलिए आपको अपने गोल किसी के साथ शेयर नहीं करना चाहिए तो पहली बात गोल सेट करो दूसरी बात उसे डायरी में लिखो बस खुद के मोटिवेशन के लिए और तीसरी बात अपने गोल्स को उसके बारे में किसी को मत बताओ यही तीनों कामों से अपने सपनों के और पास पहुंच जाओगे और अंत में उस सपने को पूरा कर लो उसे पा लोगे।

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