शिकारी माता मन्दिर की कथा और इसकी विशेषता Shikari Mata mandir ki katha or Visheshta
शिकारी माता की कहानी Shikari Mata ki kahani
देवभूमि हिमाचल में आज भी कई ऐसे प्राचीन मन्दिर है जो रहस्यों से भरे पड़े हैं। इन मन्दिरों और देवी देवताओं के विषय में प्राचीनकाल से ही कई तथ्य व रहस्य जुड़े हुए हैं। आज के इस आधुनिक दौर में हमें ये बातें इसलिये रहस्यमयी लगती हैं,क्युंकि मन्दिरों में होने वाले चमत्कारों का कोई ठोस आधार नहीं मिल पाया है। ऐसा ही एक मन्दिर है माता शिकारी का,जो कि प्राकृतिक सौंदर्य से भरपुर हिमांचल प्रदेश के मंडी जिले में सराज क्षेत्र में 11 हजार फिट की उंचाई पर स्थित है।
शिकारी माता मन्दिर का प्राकृतिक सौंदर्य श्रद्धालुओं का मन मोह लेता है। गर्मियों के दिनो में दर्शन क्लिये यह मन्दिर खुला रहता है। श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र यह धार्मिक स्थल देवदार के ऊँचे-ऊँचे वृक्षों के बिच में बसा हुआ है। हिमांचल प्रदेश के मंडी जिले में स्थित यह एकमात्र मन्दिर है जो छत रहित है।
कैसे पड़ा माता शिकारी देवी नाम:-
कहा जाता है कि अज्ञातवास के दौरान जब पांडव शिकार पर निकले थे,तो माँ ने पांडवों को दर्शन दिये। माता के दर्शन देने के उपरांत पांडवों ने माता का मंदिर बनवाया,और तभी से मंदिर का नाम शिकारी देवी मंदिर पड़ा। पांडवों द्वारा माता के मंदिर की स्थापना और माता का मंदिर बनाने से माता शिकारी ने पांडवों को महाभारत युध्द में कौरवों से वीजय प्राप्त करने का आशीर्वाद दिया।
पांडवों ने मंदिर का निर्माण तो कर दिया लेकिन अभी तक यह कोई नहीं जान पाया की पांडवों द्वारा मंदिर की छत का निर्माण क्यूँ नहीं किया गया। माता शिकारी देवी मंदिर में 6 से 7 फिट तक बर्फ गिरती है, लेकिन बर्फ ना तो मूर्तियों पर टिकता है और ना ही मंदिर के अन्दर टिक पाता है।
माता के भक्तों ने बहुत बार छत डालने की कोशिश की,लेकिन मान्यता है कि आज तक छत नहीँ टिक पाई,या फिर माता के अनुसार आज्ञा नहीं दी गई।
माता के मंदिर में जो श्रद्धालु मनत माँगता है,उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती है। माता के मंदिर में हमेशा तापमान 10° सेल्सियस तक रहता है। जो भी श्रद्धालु माता के मंदिर में आता है वो खुद को गौरवशाली महसूस करता है।
4 Comments
jai Mata di
ReplyDelete✡✡✡✡
DeleteThanks❤
ReplyDeleteJai mata di
ReplyDeletePlease do not enter any spam link in the comment box