Importance of Motivation:प्रेरणा का महत्व-
प्रेरणा की हमारे जीवन में बहुत अहम भूमिका है।सिखने की वीधी में सबसे पहला चरण प्रेरणा है। जिससे हम कुछ सीखते हैं,वो हमें पहले प्रेरित करते हैं,चाहे गुरु हो या फिर हमारी माँ या पिता जी। प्रेरित करने के बाद ही किसी कार्य को सिखाया जाता है।
प्रेरणा के द्वारा ही हमें और हमारे मन में सिखने की इच्छा उत्पन होती है,क्युंकि सकारत्मक सिखने के लिए सिखने की इच्छा होना बहुत जरूरी है।
प्रेरणा इन्सान में दो तरह से मौजुद है:-
1 अंदरूनी प्रेरणा
अन्दरूनी प्रेरणा के अंतर्गत सिखने की इच्छा हमें स्वयं होती है,क्युंकि सीखना हमारी जरुरत है। हमें सिखाने वाले को हमें प्रेरित करने की आवश्यकता नहीं पड़ती,और जो हम सीखते हैं वो कभी भुल नहीं सकता,अगर हम अन्दर से प्रेरित होकर खुद को सिखने के लिए प्रेरित करते हैं तो कोई भी कार्य आसानी से कर सकते हैं।
2 बाहरी प्रेरणा
बाहरी प्रेरणा के अंतर्गत सिखाने वाला बाहरी जरिये का प्रयोग करता है। तो उसे बाहरी प्रेरणा कहते हैं। इसमे सिखाने वाले को बहुत प्रयास करना पड़ता है और यह तब तक जरुरी हो जाता है जब कोई काम कठिन हो या अरुचिकर हो,और सिखाने वाले विभिन्न तरीकों से काम को समझाने की कोशिश करते हैं।
आपको यह जानकारी होनी चाहिए कि आप क्या सिखने जा रहे हैं।
उसे सीखना क्यूँ जरुरी है।
अगर यह तरीका प्रभावी होगा तो हमे सिख
सिखने में आसानी रहेगी और किसी भी काम को अच्छे से सिख पाएँगे।
प्रेरित करने के अलग-अलग तरीके हो सकते हैं:-
1 जिज्ञासा पैदा करना:- जिसे आप कुछ सिखा रहे हों उसके मन में उस कार्य व सुचना के प्रती जिज्ञासा उत्पन्न करके उस कार्य को सिखाना आसान हो जाता है।
2 कार्य का महत्व बताकर:- कोई भी कार्य सिखाने से पहले अगर उसका महत्व (importance) पर जोर दिया जाये,और कार्य को सीखना क्यूँ जरुरी है तो सिखाने और सिखने में आसानी होगी।
3 लाभ:- किसी कार्य को सिखाने के लिए अगर उसके लाभ (benefits) बताये जाएँ और भविष्य में उस कार्य को सिखने के क्या क्या लाभ हो सकते हैं तो सिखने में आसानी रहेगी।
4 जरुरत पूरी होना:- अगर आप सिखाने वाले को यह महसूस करवा पाओ की उस कार्य को सिखने पर वो भविष्य में किस प्रकार उसकी जरूरतों को पूरा कर सकते हैं तो कोई कार्य सिखाना आसान हो जाता है।
प्रेरणा के स्रोत:- sources of Motivation:-
1 अच्छा शिक्षक-(Good Teacher):- सबसे पहला प्रेरणा का स्त्रोत हमारे गुरु (Teacher) होते हैं। वही हमें किसी कार्य को सही ढंग से करने के लिए प्रेरित करते हैं। अगर सिखाने वाले का व्यव्हार कार्य के प्रती नकारात्मक हो तो सिखने वाला सही से नहीँ सिख पायेगा।
2 अनुकूल सीखने की स्थिति:- वातावरण का अनुकूल होना बहुत जरूरी है, क्युंकि इस से सिखने वाले कार्य के प्रती प्रेरित होंगे। यदि किसी कार्य को करने के लिए विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध नहीं है तो,ना तो सिखाने वाला सिखाने में रुचि लेगा और ना सिखने वाला सिखने में।इस लिये वातावरण का अनुकूल होना जरुरी है।
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