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सिखने की विधि- Learning Process

 सीखना एक ऐसी क्रिया है,जिसकी शुरुआत जन्म के साथ ही हो जाती है। कोई भी नया अनुभव सिखने में हमारी मदद करता है।प्रत्येक व्यक्ति में कुछ गुण होते हैं,जैसे सोचना, महसूस करना और कार्य करना। इन  गुणों का विकास हर नए अनुभव और ज्ञान से और अधिक हो जाता है।



किसी भी चिज के बारे में जानकारी प्राप्त करना, उसे समझना तथा उसका प्रयोग कर व्यव्हार में बदलाव लाना सिखने की विधि कहलाता है।

सिखने के तत्व:- Components of Learning:-

  • विषय की जानकारी प्राप्त करना (Knowing the thing)
  • समझना (Understanding)
  • प्रयोग में लाना (Using the knowledge)
  • समझाने की क्षमता (Ability to Explain)
  • अपनाकर उसमें सुधार लाना (Adopt it for Improvement)

विवरण:- Details:-

  1. जब तक किसी चिज के बारे में जानकारी ना हो, उस पर विचार व्यक्त नहीं किये जा सकते,जानकारी प्राप्त करने के लिए जरुरी है उस से सम्बंधित सूचना कहीँ पढ़ी जाये या सुनी जाये।
  2. किसी भी कार्य को तब तक ही समझा जा सकता है जब उसकी जानकारी हो। समझने के बाद ही करने वाला कार्य अच्छे से कर पायेगा और उस कार्य को करने में रुचि ले सकता है।
  3. हर कोई कार्य को समझा नहीं सकता और ना ही उसमें समझाने की योग्यता होती है। एक अच्छा गुरु(Teacher) वही है जो विषय (कार्य) को समझाने के योग्य है,एक कुशल कारीगर एक अच्छा गुरु हो सकता है,लेकिन एक अच्छा गुरु एक  कुशल कारीगर नहीं हो सकता।

सिखने के प्रकार:- Types of Learning:-

  1. अचानक सीखना:-Incidental Learning:- इस प्रकार का सीखना कभी भी कहीँ भी किसी से भी सिखा जा सकता है। ऐसे सिखने का कोई उदेश्य या मकसद नहीं होता। व्यक्ति अनजानेे में इसे सिख लेेेेता है,यह (Informal Learning) है।

 हानियां:- Disadvantage:-

  1. सिखसिखने की स्तिथि पर कोई नियन्त्रण नहीं होता कभी भी कुछ भी सीखा जा सकता है।
  2. इसमें किसी प्रकार का मार्ग दर्शन नहीं किया जाता।
  3. सिखना प्रभावित होगा या नहीं यह भी निश्चित नहीं होता।

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