होली 2025 2025 में कब है? होली क्यों मनाते हैं? होली का क्या अर्थ है? Holi 2025 in Hindi, Why Celebrate Holi in Hindi? What is the meaning of Holi in Hindi?
होली का पर्व इस वर्ष पंचांग के अनुसार 14 मार्च को मनाया जाएगा। धार्मिक दृष्टि से मार्च का महीना बहुत ही विशेष है इसी महीने शिवरात्रि का पर्व भी है और उसके पश्चात होली भी इसी महीने में मनाई जाएगी।
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Holi 2025 in Hindi |
2025 में कब है? Holi kab hai?
होलिका दहन
होलाष्टक 2025 कब शुरू होगा? When will Holashtak start in Hindi? Holika ashtak 2025 in Hindi
पंचांग के अनुसार होलाष्टक यानी होलिका अष्टक 7 मार्च से शुरू होगा और 13 मार्च को समाप्त होगा। होलाष्टक में कोई भी शुभ व मंगलमय कार्य नहीं किया जाता है। होलाष्टक में विवाह, सगाई, शिक्षा आरंभ, नामकरण, गृह निर्माण, गृह प्रवेश आदि कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं।
13 मार्च को होलिका दहन होगा और 14 मार्च 2025 में होली का त्यौहार मनाया जाएगा।
होलिका दहन तिथि एवं मुहूर्त 2025 Holika Dahan Date and Muhurt 2025 in Hindi
होली क्या है और होली क्यों मनाते हैं? What is Holi in Hindi and why celebrate Holi in Hindi?
भारतवर्ष त्यौहारों का देश है। हर एक त्यौहार का अपना एक सांस्कृतिक, आध्यात्मिक एवं सामाजिक महत्व होता है। इन सारे त्यौहारों में होली ही एक त्यौहार है जो पौराणिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक के साथ-साथ आमोद-प्रमोद के लिये मनाया जाने वाला खुशियों का त्यौहार है। बुराई पर अच्छाई की विजय का, असत्य पर सत्य और शत्रुता पर मित्रता की स्थापना का यह पर्व विलक्षण एवं अद्भुत है। पुराने गिले-शिकवे भुला कर एक दूसरे के रंग में रंग जाने, हर्ष और उल्लास से एक दूसरे से मिलने और एक दूजे को आपसी सौहार्द एवं खुशियों के रंग लगाने के अनूठे दृश्य इस त्यौहार में मन को ही नहीं माहौल को भी खुशनुमा बनाते हैं। रंगों से ही नहीं, नृत्य गान, मंजीरा एवं अन्य संगीत वादक यंत्रों को बजा कर मनोरंजन करते हैं।
होली शब्द का अर्थ Meaning of the word Holi in Hindi
होली शब्द का अंग्रेजी भाषा में अर्थ होता है पवित्रता। पवित्रता प्रत्येक व्यक्ति को काम्य होती है और इस त्योहार के साथ यदि पवित्रता की विरासत का जुड़ाव होता है तो इस पर्व की महत्ता शतगुणित हो जाती है।
होली क्यों मनाते हैं? Why celebrate Holi in Hindi?
रंगो के त्योहारों के तौर पर मशहूर होली फागुन महीने के पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है ।होली भी भारत के अन्य त्योहारों की तरह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। होली का नाम सुनते ही मन में रंगों का चित्र बन जाता है। छोटे व बड़े इस त्यौहार को बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं। इस त्यौहार में सभी एकत्रित होकर इस त्यौहार का आनंद लेते हैं। इसलिए इस त्यौहार को खुशियों का त्योहार भी कहा जाता है।
यह त्यौहार भारतवर्ष में हर एक जगह पर अपने अपने तौर-तरीकों से मनाया जाता है। ये त्यौहार हिन्दुओं का प्रमुख और प्रचलित त्यौहार है। लेकिन फिर भी इस त्योहर को हर जगह हर धर्म के लोग एक साथ मिलकर प्रेम से मनाते हैं जिसके वजह से ये त्यौहार एक दुसरे के प्रति स्नेह बढाती है।
इस त्यौहार से अनेको पौराणिक कहानियां जुडी हुई हैं जिनमे से सबसे प्रचलित कहानी है प्रह्लाद और उनकी भक्ति की. माना जाता है की प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक बलशाली अशुर हुआ करता था जिसे ब्रह्म देव द्वारा ये वरदान मिला था की उसे कोई इंसान या कोई जानवार नहीं मार सकता, ना ही किसी अस्त्र या शस्त्र से, ना घर के बाहर ना अन्दर, ना ही दिन में और ना ही रात में, ना ही धरती में ना ही आकाश में। असुर के मन में अपनी शक्तियों का घमंड आ गया जिससे वह अपने राज्य पर अत्याचार करने लगा।
और वह अपनी प्रजा को भगवान विष्णु की पूजा करने से इनकार करने लगा जो भी भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करते थे वह उसे दंड देता था। हिना कश्यप हिना का 1 पुत्र था जिसका नाम प्रहलाद था वह भी भगवान विष्णु का भगत था और हिना कश्यप को यह मंजूर नहीं था कि वह भगवान विष्णु की आराधना करें इसलिए उसने अपने पुत्र को ही मारने का निर्णय लिया। इसके लिए उसने अपनी बहन होलिका से के साथ एक षड्यंत्र रचा ।होलिका को आग में ना जलने का वरदान प्राप्त था इसलिए उसने होलिका को कहा कि वह प्रहलाद को अपनी गोद में ले कर आग में बैठ जाए लेकिन इस दौरान उस आग में होलिका तो जल गई लेकिन प्रहलाद नहीं जल सका। होली से ठीक एक दिन पहले होलिका दहन होता है जिसमे लकड़ी, घास और गाय का गोबर से बने ढेर में इंसान अपने आप की बुराई भी इसके चारो और घूमकर आग में जलाता है और अगले दिन से नयी शुरुआत करने का वचन लेते हैं।
2025 में होली किस तारीख को है?
रंगों का त्योहार होली 2025 हिंदू पंचांग के मुताबिक हर वर्ष फागुन पूर्णिमा के दिन होलिका दहन किया जाता है, और दूसरे दिन होली मनाई जाती है। इसके अनुसार होली का त्योहार इस वर्ष 14 मार्च 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन रंग बिरंगे रंगों से होली का त्यौहार मनाया जाएगा, और सभी एक दूसरे को रंग गुलाल लगाएंगे और शुभकामनाएं देंगे।
होली की शुरुआत कैसे हुई? How did Holi start in Hindi?
बुंदेलखंड में झांसी के एरच से इस त्यौहार की शुरुआत हुई है। यह जगह हिर्णयकश्यप की राजधानी हुआ करती थी। जहां पर भक्त प्रहलाद को होलिका ने अपनी गोदी में लेकर आग में चली गई थी। जिसमें भक्त प्रहलाद तो बच गए थे, लेकिन होलिका जल गई थी। ऐसा माना जाता है, कि तभी से रंगो के त्यौहार होली पर्व की शुरुआत हुई थी।
होली का पर्यायवाची क्या है? What is the Synonym of Holi in Hindi?
मदनोत्सव, बसंतोत्सव, फ़ाग। होली शब्द के पर्यायवाची शब्दों के अर्थ जानना भी बहुत जरूरी है।
रंग होली का भाग कैसे बने
यह कहानी भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण के समय तक जाती है माना जाता है कि भगवान विष्णु रंगों से होली मनाते थे इसलिए होली का त्यौहार रंगों के रूप में लोकप्रिय हुआ कृष्ण वृंदावन और गोकुल में अपने साथियों के साथ होली खेलते थे ।।वे गांव में मजाक भरी शरारती करते थे आज भी वृंदावन जैसे होली कहीं नहीं मनाई जाती है होली वसंत का त्यौहार है और यह त्यौहार सर्दियां खत्म होने पर होने के समय आता है। भारत में इस समय कहीं-कहीं फसल पकने का भी समय होता है। होली को बसंत महोत्सव भी कहते है।
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Holi को सही तरीके से कैसे मनाएं?
पहले होली के रंग प्राकृतिक चीजों से बनते थे जैसे फूलों से और उन्हें गुलाल कहा जाता था. वो रंग हमारी त्वचा के लिए बहुत ही अच्छा होता था क्यूंकि उसमे कोई भी chemicals नहीं मिलाया जाता था. लेकिन आज के समय में दुकानों पर रंगों के नाम पर chemicals से बने powder बिकते हैं जो हम सबकी सेहत के लिए हानिकारक है खाश कर के बच्चों के लिए. ये chemicals से बने रंग कम दामों में मिलते हैं और natural रंग जिससे असल में होली के दिन इस्तेमाल करना चाहिये उसके दाम थोड़े ज्यादा होते हैं इसलिए लोग कम दामों वाला रंग खरीद लेते हैं इस बात से अनजान हो कर की वो रंग उनके लिए कितना खतरनाक है।
होली के रंग
पहले होली के रंग के टेसू या पलाश के फूलों से बनते थे और उन्हें गुलाल कहा जाता था। वह रंग त्वचा को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते थे लेकिन आजकल रंगों में कई रसायन मिलाए जाते हैं जो त्वचा के लिए हानिकारक होते हैं। खराब रंगों से चलते ही कई लोगों ने होली खेलना छोड़ दिया है हमें होली के त्यौहार को सच्चे स्वरूप से मनाना चाहिए।
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2 Comments
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