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नवरात्रि 2025 ।नवरात्रि क्यों मनाई जाती है? नवरात्रि कब से शुरु है? नवरात्रि पूजा विधि।

नवरात्रि 2025, नवरात्रि क्यों मनाई जाती है? नवरात्रि पूजा विधि। Navratri 2025, why is Navratri celebrated? Navratri pooja or vidhi

नवरात्रि कब से शुरु है?

नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि साल में दो बार मनाया जाता है।  चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि।  पहले चैत्र नवरात्रि और दूसरा शारदी नवरात्रि, चैत्र नवरात्रि को बसंत नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है।  इन नवरात्रों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। 

चैत्र नवरात्रि 2025 chaitra navratri 2025

 इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 30 मार्च 2025 रविवार से शुरू होने जा रही है और 7 अप्रैल 2025 को नवरात्रों का समापन होगा। पहले नवरात्रि के दिन घटस्थापना करके मां दुर्गा का आवाहन किया जाता है और 9 दिन लोग मां लक्ष्मी का व्रत करके पूरी श्रद्धा से इन नवरात्रों को की पूजा करते हैं। 

घट स्थापना का मुहूर्त - सुबह 6:02 से 10:16 तक 

कलश स्थापना अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:57 से लेकर दोपहर 12:48 तक 

कलश स्थापना यानी घट स्थापना विधि पूर्वक करनी चाहिए।इससे इसका अच्छा फल मिलता है। हिंदुओं में नवरात्रि बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। मां की सभी रूपों की उपासना की जाती है।

✡जय माता दी ✡

नवरात्रि क्यों मनाई जाती है? 

नवरात्रि मां दुर्गा का पर्व कहा जाता है। हिंदुओं में नवरात्रि को मनाए जाने के लिए कई कारण बताए जाते हैं। नवरात्रि में हर घर में 9 दिन माता रानी का विधि विधान से पूजा की जाती है।

कहा जाता है कि जो लोग नवरात्रि में सच्चे मन से माता रानी की पूजा करते हैं तो माता रानी उनकी अवश्य सुनती है। सदियों से हम नवरात्रि का त्यौहार मनाते आ रहे हैं और नवरात्रि में व्रत भी रखते प्रत्येक क्षेत्र में अलग-अलग तरीके से इस त्योहार को मनाते हैं। कहीं पूरी रात  गरबा और आरती कर नवरात्रि के व्रत रखें जाते हैं। तो कहीं कुछ लोग व्रत और उपवास  रखकर मां दुर्गा की पूजा करते हैं।

नवरात्रि क्यों मनाई जाते हैं? इसके पीछे एक कहानी है।महिषासुर नाम का एक शक्तिशाली राक्षस था ।वह अमरता का वरदान प्राप्त करना चाहता था ।इसके लिए उसने ब्रह्मा की कठोर तपस्या की ।ब्रह्मा जी भी उसकी तपस्या से प्रसन्न हुए और उसे वरदान देने के लिए उसके पास आ गए उसकी आराधना से प्रसन्न होकर उसे वरदान मांगने को कहा - महिषासुर ने भी अमर होने का वरदान मांग लिया ।महिषासुर की इस बात को सुनकर ब्रह्मा जी ने कहा "जो इस संसार में आया है उसकी मृत्यु होना निश्चित है"  इसलिए जीवन और मृत्यु को छोड़कर कोई और वरदान मांग लो तो महिषासुर ने कहा हे -प्रभु आप मुझे ऐसा वरदान दो कि मेरी मृत्यु ना तो देवता या असुर के हाथों हो। ना ही किसी मानव ना ही किसी स्त्री के हाथों ।ब्रह्मा जी ने महिषासुर को यह वरदान दे दिया ।इसके पश्चात महिषासुर राक्षसों का राजा बन गया । और उसने देवताओं पर आक्रमण कर दिया देवताओं ने भी महिषासुर का सामना किया लेकिन महिषासुर से हार गए और   देव लोक पर महिषासुर का राज हो गया। सभी देवताओं ने विष्णु जी के साथ मिलकर आदिशक्ति की आराधना की उन सभी के शरीर से एक दिव्य रोशनी निकली जिसने एक बेहद खूबसूरत अप्सरा के रूप में मां दुर्गा का रूप धारण कर लिया। महिषासुर मां दुर्गा से शादी करना चाहता था ।उसने मां दुर्गा के सामने शादी का प्रस्ताव रखा तो इस बात पर मां दुर्गा ने एक शर्त रखी कि उसे उस से युद्ध करना होगा यदि वह युद्ध में जीत जाता है तो ही मां महिषासुर से विवाह करेगी ।महिषासुर ने भी युद्ध करने के लिए हां कर दी। फिर लड़ाई शुरू हो गई जो पूरे 9 दिन चली दसवें दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का अंत कर दिया तभी से नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है।

मां दुर्गा के नौ स्वरूप


माँ दुर्गा के नौ स्वरुप 


नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है मां दुर्गा के अलग-अलग नौ स्वरूपों शैलपुत्री,  ब्रह्मचारिणी,  चंद्रघंटा,  कुष्मांडा,  स्कंदमाता,  कात्यानी,  कालरात्रि,  महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा नवरात्रि में बड़े प्रेम से की जाती है। कहा जाता है कि जो मां दुर्गा के नौ रूपों की सच्चे दिल से पूजा करता है उसके सारे दुख दूर हो जाते हैं और उसकी हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है। हिंदू धर्म में नवरात्रि का पर्व बड़े प्यार से मनाया जाता है।

नवरात्रि पूजा विधि जानिए कैसे करें नवरात्रि की पूजा।

1- नवरात्रि के पहले दिन सुबह उठकर स्नान आदि करने के पश्चात 9 दिनों के व्रत अथवा उपवास का संकल्प लें। संकल्प लेने के लिए सीधे हाथ में जल लेकर उसमें चावल,  एक सुपारी,  फूल और सिक्का रखें और अपनी कामना पूर्ति के लिए मन में ही संकल्प लें और माता रानी के चरणों में जल अर्पित कर दें।



2- इस दिन सुबह जल्दी उठकर घर की साफ सफाई कर स्नान करने के पश्चात माता रानी की पूजा करे ।पूजा में ताजा पानी और दूध से माता जी को स्नान करवाएं। फिर कुमकुम, चंदन,  फूल और अन्य सुगंधित चीजों से पूजा करें और मिठाई का भोग लगाकर आरती करें। नवरात्रि के पहले ही दिन घी या तेल का दीपक लगाएं। ध्यान रखें वो दीपक नौ दिनों तक बुझ न पाएं।

3- इस दिन माता रानी के लिए उपवास रखें आप चाहे तो पास में फलाहार अभी ले सकते हैं फलाहार में दूध और फल खा सकते हैं और पूरा दिन माता रानी का मन में जाप करें रें।  अगर आप अगर आप चाहे तो शाम को माता रानी की पूजा के पश्चात खाना खा सकते हैं।

4- माता रानी की पूजा के पश्चात एक कन्या की पूजा अवश्य करें और उसे खाना भी खिलाएं।

5-  नवरात्रों में बाल और नाखून न कटवाएं और शेव भी न बनावाएं। इनके साथ ही तेल मालिश भी न करें। नवरात्रि के दौरान दिन में नहीं सोएं।

6- नवरात्रों मे मीट मास और अंडों का सेवन ना करें। 

7- नवरात्रि में ऐसा कोई कार्य ना करें जिससे किसी का नुकसान हो और  बच्चे व बूढ़े को व्रत नहीं करना  चाहिए क्योंकि वह व्रत के नियमों का पालन नहीं कर पाएंगे ।

इन दिनों हमें मंदिर  में जाकर माता रानी की पूजा करनी चाहिए और भक्तों की सेवा करनी चाहिए।

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