Ticker

6/recent/ticker-posts

अकेले बैठना इतना मुश्किल क्यों लगता है? अकेले बैठने के क्या फायदे हैं?

अकेले बैठना इतना मुश्किल क्यों लगता है? अकेले बैठने के क्या फायदे हैं? What are the Benefits of Sitting Ålone in Hindi


नुष्य एक सामाजिक प्राणी होने के साथ-साथ एक ऐसा प्राणी है... जो समाज में अकेले रहकर जिंदगी बसर नहीं कर सकता। लोगों के साथ वक्त बिताना, उनके साथ घूलना-मिलना, मिलजुल कर जश्न मनाना, पार्टी करना हमारी फितरत भी है और जरूरत भी••••

अकेले रहने पर क्या होगा What Happens if You are Alone?

आपने ऐसे बहुत से लोगों को देखा होगा जो अकेले रहने की वकालत किया करते हैं।

अमेरिका की एक लेखिका एनेली रुफस ने 'पार्टी ऑफ वन: द लोनर्स मेनिफेस्टो' नाम की एक बुक लिखी हुई है। इसमें उन्होंने कहा है-- कि अकेले रहने के बहुत सारे फायदे हैं। आप अपने आप पर फोकस कर सकते हैं। जिससे आप अपनी क्रिएटिविटी को बढ़ा सकते हैं। लोगों से बातें करके या फिजूल में मिलकर झूठी हंसी मजाक में शामिल होने से बेहतर है, अकेले वक्त बिताना।       


अकेले बैठने के क्या फायदे हैं? What are the Benefits of Sitting Ålone in Hindi


बढ़ती है क्रिएटिविटी Creativity Grows

पार्टियों से दूर रहना, तन्हा रहना, दोस्तों से मिलने में आना-कानी करना। यदि यह खुद का फैसला है, तो यह आपके लिए काफी फायदेमंद हो सकता है।
अमेरिका में सैन जोस यूनिवर्सिटी के ग्रेगरी फिस्ट का कहना है, कि इस बारे में वह इस नतीजे पर पहुंचे कि अगर आप खुद के साथ समय बिताते हैं, तो आप अपनी क्रिएटिविटी को काफी हद तक बूस्ट कर सकते हैं। जिससे आपका आत्मविश्वास बढ़ता है। आप नए ख्यालात और आजाद सोच का खुलकर स्वागत कर सकते हैं। जब आप खुद के साथ समय बिताते हैं, तो आप का जहन सुकून भरे पलों को बखूबी इस्तेमाल करता है। शोर-शराबे वाली जगह से दूर तन्हा बैठकर आपके सोचने समझने की ताकत को मजबूत कर देता है। आप अपनी पुरानी बातों को याद करके और उनके बारे में सोच कर अपनी याददाश्त को मजबूत कर सकते हैं।


खुद को रिचार्ज करने का अच्छा तरीका Good Way to Recharge Yourself

अपने मोबाइल फोन को जब अब हद से ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, तो जाहिर सी बात है कि उसकी बैटरी डाउन हो जाएगी। हमारे साथ भी कुछ इसी प्रकार से होता है। जरूरत से ज्यादा लोगों के साथ घिर जाने से हमारी उर्जा बहुत अधिक यूज होती है। अंततः जिससे हम थकान महसूस करते हैं, और ऐसी स्थिति में अगर हम कुछ समय के लिए अकेले में बैठ जाएं तो शांति महसूस करेंगे।

सुकून पाने में फायदेमंद  Beneficial for Relaxation

कुछ देर आराम से शांत जगह पर अकेले बैठने के बाद आप मीटिंग की बातों को दिमाग में रिफ्रेश कर सकते हैं। जिससे ब्रेक के बाद दिमाग तरोताजा हो जाता है। आपके लिए यह एक दिमाग शांत करने वाली थेरेपी की तरह काम करता है। अक्सर लोग इसे आजमाते रहते हैं, और यकीन मानिए यह बहुत जरूरी है।

अकेले रहने का एक और फायदा  Another Advantage of Being Alone

हमारी आने वाली जिंदगी के सुकून से भी अकेले रहने का एक फायदा जुड़ा हुआ है। अक्सर हम खुद दिनभर की भागदौड़ में काफी व्यस्त फील करते हैं। एक काम खत्म होता नहीं और हम दूसरे काम की प्लानिंग करने लग जाते हैं। लेकिन हमारा आने वाला समय कैसा होगा इस बात की प्लानिंग हमसे छूट जाती है।

करें खुद के लिए प्लानिंग  Do Planning for Yourself

जब जब हम अकेले होते हैं, तो अपनी अंतरात्मा से बात तो करते रहते हैं और खुद को समझते हैं। हमें किन-किन बातों की जरूरत है। हम उसकी गहराई तक जाते हैं, क्योंकि हमारे विचार ही हमारे आने वाले कल की खुशियों का चयन कर पाते हैं।

खुद से बात करने का सही रास्ता  The Right way to Talk to Yourself

बहुत बार ऐसा हो जाता है कि हमें अचानक अपने आप ही एक बुरी भावना*का एहसास हो जाता है। हमें यह बात समझ नहीं आती है, कि हम परेशान क्यों हो रहे हैं? हमारी परेशानी का क्या कारण है, और इसी सोच में हम खुद को और भी चिंतित कर देते हैं। चिकित्सकों के अनुसार यह हमारे हार्मोनल इंबैलेंस के कारण होता है।



क्या अकेले रहना समस्या है? Is being Alone a Problem?


अगर आप अकेले हैं, और अकेलेपन की वजह से बोर हो रहे हैं, तो निश्चित तौर पर आप बुरी संगत में है। दिन बीतते-बीतते यदि आप बहुत ज्यादा दुखी महसूस करने लगते हैं, तो आप बहुत ही खराब संगत में हैं। अक्सर बुनियादी सवाल यह होते हैं कि 'मेरी समस्या क्या है? मैं देख सकता हूं, मेरे हाथ पैर सलामत है, सूंघ सकता हूं, चख सकता हूं, सुन सकता हूं। फिर मुझे परेशानी क्या है? मगर समस्या यही है। यह सब आप तभी जान पाएंगे, जब आप अकेले बैठेंगे।
आपके आसपास जब लोग होंगे, तो आपको बहाना मिल जाएगा। आप जब किसी के साथ होते हैं, तो यह कहना आसान हो जाता है, कि यह इंसान बहुत बेकार है। इस वजह से मैं परेशान हूं। यह ठीक नहीं है, वह ठीक नहीं है, लेकिन जब अकेले बैठने पर भी यही समस्या बनी रहती है, तभी आप जान जाते हैं कि समस्या का स्त्रोत कहां है।

अकेले बैठना गोल्फ खेलने जैसा Sitting Alone is like Playing Golf


यह एक गोल्फ खेल की तरह है। काफी लोग आजकल इस खेल की बड़ाई करते हैं, कि गोल्फ खेलने में काफी मेहनत लगती है, और यह खेल दूसरे खेलों की तरह नहीं है। उन लोगों ने इस खेल को दिव्य बना दिया है। बहुत से लोगों को यह खेल असंभव और काफी मुश्किल लगता है, क्योंकि जब वह गेंद को मारते हैं, तो वह दरअसल मिट्टी खोज बैठते हैं। इसलिए उनको लगता है, कि इसमें बहुत ध्यान और एकाग्रता की जरूरत होती है।
लेकिन यदि आप किसी दूसरे खेल को देखते हैं, तो वहां पर गेंद अलग-अलग गति से, अलग-अलग एंगल से, अलग-अलग तरह से उछ्लते हुए, आपकी तरफ आती है। आपको एक पल में आईडिया लगाकर उसे खेलना पड़ता है। यहां गेंद एक जगह पड़ी रहती है। आपके पास दुनिया भर का वक्त होता है। आप सोच सकते हैं, आप खड़े होकर खुद को बार-बार व्यवस्थित भी कर सकते हैं। गेंद वहीं पर आराम से पड़ी रहती है। फिर भी बहुत से लोग गेंद मारते समय मिट्टी खोद डालते हैं। अकेले में बैठना भी ऐसा ही है। आपको बस बैठना है, आपको ना पहाड़ चढ़ना है, ना कोई बड़ी समस्या सुलझानी है, और ना ही कोई गीत गाना है। यही ध्यान है, इसमें आपको कुछ नहीं करना है, बस बैठे रहना है। यह सबसे आसान चीज है, है ना? मगर देखिए, सिर्फ अकेले बैठने में आपको कितनी सारी परेशानियां महसूस होती हैं। हर चीज अनावश्यक रूप से पेचीदा ही लगती है क्योंकि आपने कभी उस पर ध्यान ही नहीं दिया, जिसे आप 'मैं' कहते हैं। जबकि इसमें कोई पेचिदगी भी नहीं है। यह एक सुंदर मशीन है। यह चाहे शांत रहे, या शोर मचाए, दोनों रूपों में बहुत अच्छी होती है। यदि आप इसे अच्छी तरह रखें, तो यह दोनों से बढ़िया कार्य करती है। अगर आप इसे अच्छी तरह नहीं रखोगे, तो जब इसे शांत रहना चाहिए, उस वक्त यह शोर मचाएगा और जब इसे शेयर करना चाहिए। उस वक्त उससे कोई आवाज ही नहीं आएगी।


जवानी में ही अकेले बैठना सीखना पड़ेगा Have to learn to sit alone in youth


आपको अकेले जरूर बैठना चाहिए, यह बेहद जरूरी है। ईश्वर भी उसी के साथ होते हैं, जिसे किसी का साथ पसंद ना हो या किसी का साथ नहीं खोजते। यदि आपको कुछ शेयर करना हो तो वह एक अलग बात है। लेकिन अगर आप किसी का साथ चाहते हैं, तो ईश्वर सोचते हैं कि इसे तो किसी और का साथ चाहिए, तो फिर मेरी क्या जरूरत है? इसीलिए आपको इस बात का एहसास हो जाएगा कि जब तक आप अकेले नहीं बैठोगे, आप कुछ भी नहीं जान पाएंगे। दुनिया वालों के साथ या लोगों के साथ आप ऐसी बहुत सारी चीजों को छुपा सकते हैं, लेकिन जब आप अकेले बैठे होते हैं, तब आपको अपनी बुद्धि की परीक्षा पर खरा उतरना पड़ता है, जो सबसे भयानक है। आप उस से नहीं बच सकते बेहतर होगा कि आप अपने जीवन में जल्दी संभव हो और सबसे तेज धार वाले चाकू की धार से गुजर जाए, वरना आप बड़े होकर एक मूर्ख बुजुर्ग बन जाएंगे। युवा मूर्ख होने में कोई बुराई नहीं है, मगर मूर्ख बुजुर्ग आपको नहीं होना चाहिए। युवा मूर्ख चल पड़ेगा, मगर एक बुजुर्ग की मूर्खता योग्य नहीं मानी जाती है।

Post a Comment

0 Comments