हरतालिका तीज व्रत हिंदू धर्म के व्रत में से एक व्रत है। यह व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह व्रत 6 सितंबर को मनाया जाएगा। इस दिन महिलाएं निर्जल व्रत करती है और अपने पति की लंबी आयु की प्रार्थना भगवान शिव और माता पार्वती से करती है हर तालिका तीज व्रत के नियम बहुत ही कठिन माने जाते हैं। इस व्रत में महिलाएं निर्जल व्रत करके सभी नियमों का पालन अच्छे से करती है। इस दिन महिलाएं नए कपड़े पहनती है और इसके साथ 16 श्रृंगार करती है। इस लेख में हम आपको तीज व्रत की तिथि, नियम और विधि के बारे में बताने जा रहे है।
हरतालिका तीज व्रत की तिथि Hartalika Teej fast date
हर तालिका तीज व्रत 6 सितंबर 2024 में मनाया जाएगा।
पंचांग के अनुसार हरितालिका तीज भाद्र पक्ष शुक्र पाठ पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है इस वर्ष यह त्यौहार 5 दिसंबर दोपहर 12:21 मिनट से शुरू होगा और दूसरे दिन 6 सितंबर को दोपहर 3:00 तक रहेगा लेकिन 5 सितंबर को भाद्रपद शुक्ल की द्वितीया तिथि होने की वजह से यह व्रत 6 सितंबर को मनाया जाएगा क्योंकि इस दिन की भाद्रपद शुक्ल की तृतीया तिथि आरंभ होगी इसीलिए हरतालिका 6 सितंबर शुक्रवार को मनाई जाएगी ।
हरतालिका तीज की पूजा का शुभ मुहूर्त Auspicious time for worship of Hartalika Teej
2024 में हरतालिका तीज 6 सितंबर यानी शुक्रवार को मनाया जा रहा है इस दिन सुबह 6:02 से लेकर 8:30 तक पूजा का शुभ मुहूर्त बताया जा रहा है
हरितालिका तीज व्रत के नियम Rules of Haritalika Teej fast
- हर तालिका तीज व्रत 6 सितंबर 2024 में मनाया जाएगा।
- इस दिन महिलाएं पूरा दिन निर्जल व्रत करती है।
- महिलाएं रात को जागरण व कीर्तन भजन भी करती है।
- जो महिलाएं इस व्रत को करती है उन्हें जीवन भर इस व्रत का पालन करना पड़ता है।
- शाम के समय कथा सुनने के बाद इस व्रत को पूर्ण माना जाता है और शिव पार्वती की पूजा की जाती है।
- इस व्रत के दिन महिलाएं एंजल फल आदि सबका त्याग कर देती है हर तालिका व्रत के अनुसार जो महिलाएं इस दिन पानी पीती है वह अगले जन्म में मछली या बंदर का जन्म लेती है।
- हरितालिका तीज व्रत के दिन महिलाएं उपवास रखकर शिव गौरी पूजन करती है और अपनी पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करती है। इस दिन महिलाएं बड़े हर्ष उल्लास से इस त्यौहार को मनाती है।
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हरतालिका पूजन सामग्री Hartalika puja material
- फुलेरा खास तौर के फूलों के साथ सजा होता है।
- गिल्ली काली मिट्टी, केले के पत्ते, अनेक प्रकार के फल और फूल।
- बेल पत्र,धतूरे के फूल, फल, तुलसी।
- माता गौरी के श्रृंगार के लिए चूड़ियां, बिंदिया, काजल, सिंदूर, कंगना, कंघी,मेहंदी आदि अन्य सौंदर्य सामग्रियां।
- घी, तेल, कपूर, चंदन, श्रीफल, कलश दही, शुगर, दूध, शहद आदि
- भगवान शिव की पूजा के लिए 16 तरह के पत्ते जैसे बेलपत्र, तुलसी बंद देवदार, चंपा, कनेर, भृंगराज, धतूरा आम के पत्ते, अशोक के पत्ते, केले के पत्ते, आदि
हरितालिका तीज व्रत की पूजन विधि Worship method of Haritalika Teej fast
- हरतालिका पूजन प्रदोष काल अर्थात दिन और रात के मिलने वाला समय में किया जाता है।
- इस व्रत में शिव और माता पार्वती तथा गणेश जी की बालू या काली मिट्टी के हाथ बनाए जाते हैं।
- फुलेरा को सजाया जाता है।
- चौकी का एक सातीया बनाकर उसमें थाल रखी जाती है, थल में फल, केले आदि पूजा सामग्री रखी जाती है। सबसे पहले कलश बनाया जाता है, और फिर श्रीफल उसके ऊपर रखते हैं। और एक दिया जला दिया जाता है कलश को लाल डोरी बना दिया जाता है।
- कलश के पश्चात गणेश जी की पूजा की जाती है उसके पश्चात माता गौरा और शिव का श्रृंगार किया जाता है। इस व्रत में माता गौरा को सिंदूर चढ़ाया जाता है और सुहागिन अन्य सुहागानों को सुहागी देती है।
- पूजा पूरी होने के पश्चात सभी को प्रसाद दिया जाता है।
Conclusion निष्कर्ष
हमें उम्मीद है, कि हमारे द्वारा दी गई जानकारी से आप संतुष्ट हैं और हमने आपको जो भी जानकारी दी वह आपको पसंद आई होगी। इसके अलावा फिर भी अगर आपको किसी जानकारी के प्रति कोई कंफ्यूजन लगती है, तो आप किसी उचित सलाहकार से अवश्य जानकारी प्राप्त करें, ताकि आप अपने हरतालिका के व्रत को सही से कर पाए और व्रत के नियमों का सही से पालन कर सके।
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