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भगवान "श्री कृष्ण" को श्रेष्ठ बनाते हैं उनके यह 64 गुण

भगवान "श्री कृष्ण" को श्रेष्ठ बनाते हैं उनके यह 64 गुण.. 64 qualities of Lord Shri Krishna in Hindi


आईए जानते हैं विस्तार से उनके 64 गुणों के बारे में...

कई अनंत गुणों से भगवान "श्री कृष्ण" के यह 64 प्रमुख गुण चुने गए हैं। इनके कुछ प्रमुख गुण इस प्रकार है।

सर्वशक्तिमान, सर्व-सिद्धि, सर्वज्ञ, सच्चिदानंद, नित्य-नूतन और निशेविता।

 

चलिए हम आपको भगवान "श्री कृष्ण" के 64 गुणों को विस्तार में बताते हैं:-

यह माना गया है कि भगवान "श्री कृष्ण" के पास 64 गुण या 64 कलाएँ थी। इन कलाओं में नृत्य, गायन, वाद्य यंत्र बजाना, जादू, अभिनय, सुगंधित चीज़ें बनाना, नाटक रचना, फूलों के गहने बनाना इत्यादि शामिल हैं। 


64 गुणों को चार भागों में विभाजित किया गया है:-


1. इस भाग में भगवान "श्री कृष्ण" के 50 गुण विद्यमान है जो इनके पूर्ण स्वरूप और शाश्वत को दर्शाते हैं। 

2. दूसरे भाग में पांच गुण विद्यमान है, जो इनकी लीलाओं और मानवीय रूप को दर्शाते हैं।

3. इस भाग में भी पांच गुण सम्मिलित है जो शक्ति और ज्ञान को दर्शाते हैं।

4. अंतिम भाग में भगवान "श्री कृष्ण" के 4 गुण विद्यमान है, जो करुणा और प्रेम को दर्शाते हैं।

भगवान "श्री कृष्ण" के 64 गुणों का महत्व:- "श्री कृष्ण" जी के 64 गुणों का चिंतन और अध्ययन करने से इनके बारे में बेहतर और अच्छी समझ प्राप्त होती है। यह हमें उनके सिद्धांतों और आदर्शों से परिचय करवाते हैं, और हमें अपने जीवन जीने के लिए बेहतर तरीके से प्रेरित करते हैं।


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भगवान "श्री कृष्ण" के 64 गुण कौन-कौन से हैं आइए आपको बताते हैं:-


भक्तिरसामृतसिंधु में "श्री कृष्ण" जी के 64 गुण बताए गए हैं।


1. संपूर्ण शरीर का सुंदर स्वरूप

2. तेजवान

3. अतीव रुचिर 

4. समस्त शुभ गुणों से अंकित

5. सत्यवादी

6. अद्भुत भाषा विद

7. बलवान

8. नित्य युवा

9. अत्यधिक बुद्धिमान

10. सुपंडित 

11. वाकपटु

12. मधुर भाषी

13. प्रतिभावान 

14. अति चतुर्

15. विदग्ध 

16. कृतज्ञ

17. दक्ष 

18. काल तथा परिस्थितियों के कुशल निर्णायक 

19. दृढ़ संकल्प

20. पवित्र 

21. वेदों या शास्त्रों के अनुसार देखने और बोलने वाले

22. स्थिर 

23. आत्मसंयमी

24. क्षमावान

25. सहिष्णु 

26. धैर्यवान 

27. गंभीर 

28. सम दृष्टि रखने वाला

29. धार्मिक

30. उदार

31. शूरवीर

32. दयालु

33. विनयी

34. भद्र 

35. सम्मान करने वाले

36. शरणागत पालक 

37. लज्जावान

38. भक्तों के हितेषी 

39. सुखी 

40. प्रेमवष्य

41. परम शक्तिमान 

42. सर्वमंगलय 

43. लोकप्रिय 

44. परम यशस्वी

45. भक्तों का पक्ष लेने वाले

46. सर्व आराध्य 

47. सभी स्त्रियों के लिए अत्यधिक आकर्षक

48. सर्व सामान्य 

49. सर्व संपन्न

50. परम नियंता 

51. सर्वज्ञ 

52. परिवर्तन रहित

53. समस्त योग सिद्धीयों से युक्त

54. सच्चिदानंद ( सदैव नित्य आनंद में शरीर वाले)

55. चिर नूतन

नारायण के शरीर में पांच और गुण है जो इस प्रकार हैं

56. शरीर से असंख्य ब्रह्मांड का उत्पन्न होना 

57. अचिंत्य शक्तिमय 

58. संसार के समस्त अवतारों का उद्गम उनसे ही है।

59. अपने द्वारा मारे शत्रु को मुक्तिधाम देना 

60. मुक्त आत्माओं के लिए आकर्षक

"श्री कृष्ण" जी के यह सारे गुण अद्भुत ढंग से साकार स्वरूप में प्रकट होते हैं। इन 60 दिव्य गुणों के अलावा भगवान "श्री कृष्ण" जी में चार और गुण भी पाए जाते हैं, जो जीव या देवताओं में तो क्या, स्वयं नारायण स्वरूप में भी नहीं होते।


61. अद्भुत लीलाओं के कर्ता है "श्री कृष्ण"

62. अद्भुत भगवत से युक्त भक्तों द्वारा घिरे रहते हैं "श्री कृष्ण"

63. उनका रूप, सौंदर्य अद्भुत है, जो सारी सृष्टि में अद्वितीय है।

64. असाधारण गुणों से युक्त भगवान "श्री कृष्ण" 64 कलाओं से भी परिपूर्ण है।

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