व्याकरण किसे कहते हैं? व्याकरण के कितने भेद होते हैं? Vayakaran Kise kehte hai? Vayakaran ke kitne bhed hai?
हमारा देश अनेक भाषाओं के समृद्ध साहित्यिक परंपराओं के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यहां संसार के चारों भाषा, परिवारों, भारोपीय ,द्रविड़ ,तिब्बत बर्मी और आग्नेय की अनेक भाषाएं बोली जाती है इसीलिए भारत को बहुभाषी देश भी कहते हैं। इन सभी भाषाओं का शुद्ध रूप से ज्ञान प्राप्त करने के लिए व्याकरण का ज्ञान होना आवश्यक है।
इसके साथ ही एक भाषा को जानने वाला व्यक्ति दूसरी भाषा का व्याकरण जानकर उसे शिघ्रता और शुद्धता से सीख लेता है। इस प्रकार भाषा के मानक रूप का ज्ञान प्राप्त करने उसका सही प्रयोग करने तथा भाषिक तत्वों का विश्लेषण करने में व्याकरण हमारी सहायता करता है।
व्याकरण Vayakaran
व्याकरण का अर्थ Vayakaran ka Arth
व्याकरण 3 शब्दों के मेल वी+आ+करण से बना हुआ है जिसका अर्थ है अच्छी तरह से समझना।
"व्याकरण वह साधन (युक्ति, माध्यम) है जिसके द्वारा हम भाषा के शुद्ध और अशुद्ध रूप का ज्ञान प्राप्त या पत्ता लगा सके, उसे व्याकरण कहते हैं। साधारण शब्दों या (भाषा) में हम यह भी कह सकते हैं कि व्याकरण भाषा के शुद्ध रूप में लिखने और बोलने संबंधी नियमों का ज्ञान कराता है"
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व्याकरण किसे कहते हैं? व्याकरण क्या होता है? Vayakaran kya hota hai
"वह शास्त्र जिसके जरिये (माध्यम) से हम किसी भी भाषा के शुद्ध रूप का (पत्ता लगाया जा सके) या ज्ञान प्राप्त करते हैं उसे व्याकरण कहते हैं या भाषा को शुद्ध रूप में लिखने पढ़ने और समझने के ज्ञान प्राप्त हो उसे व्याकरण कहते हैं"
व्याकरण की सहायता से या (ज्ञान से) भाषा का सही और प्रभावशाली प्रयोग करना आसान है।
व्याकरण सभी भाषाओं के लिए इस्तेमाल किया जाता है जैसे अंग्रेजी भाषा का व्याकरण हिंदी भाषा का व्याकरण गुजराती भाषा का व्याकरण आदि सभी भाषाओं का अपना अपना अलग व्याकरण है।
व्याकरण से आप क्या समझते हैं? Vayakaran se aap kya samjhte hai?
व्याकरण की परिभाषा- Definition of Vayakaran
वास्तु भाषा के अंग प्रत्यंग का विश्लेषण और विवेचन को व्याकरण कहते हैं भाषा की शुद्धता और सुंदरता को बनाए रखने के लिए व्याकरण का पालन करना आवश्यक होता है और वे सारे नियम व्याकरण में विद्यमान होते हैं जो भाषा के शुद्ध रूप को प्रकट करते हैं। किसी भी भाषा को शुद्ध करने के लिए नियम बनाए गए होते हैं और भाषा की शुद्धता का ज्ञान प्राप्त करने के लिए व्याकरण का ज्ञान होना आवश्यक है आजकल के विद्यार्थी अनेकों भाषाओं का ज्ञान रखते हैं लेकिन उन भाषाओं में कितनी शुद्धता होती है यह उनके बोलचाल से ही पता लगाई जाती है उनको भाषा का व्याकरण का ज्ञान ना होने की वजह से वे भाषाओं का सही से उपयोग नहीं कर पाते है। व्याकरण भाषा के अध्ययन का महत्वपूर्ण हिस्सा है
व्याकरण के कितने भेद (भाग) होते हैं? व्याकरण के कितने अंग होते हैं? Vayakaran ke kitne ang hai?
व्याकरण के मुख्य चार भाग जाने भेद होते हैं किंतु कई जगह पर व्याकरण के 3 अंग भी बताए गए है।
व्याकरण के मुख्य भेद Vayakaran ke Mukhya Bhed
1.वर्ण विचार Varan Vichar
2.शब्द विचार Shabd Vichar
3.पद विचार Pad Vichar
4.वाक्य विचार Vakay Vichar
1.वर्ण विचार (Varan Vichar), वर्ण विचार क्या है?
भाषा में जो सबसे छोटी इकाई होती है, उसे वर्ण विचार कहा जाता है। इसको तोड़ा नहीं जा सकता है जैसे कि म, प,फ,स,ह,क आदि।
वर्ण हिंदी भाषा की मूल इकाई है । जब हम हिंदी भाषा को पढ़ते हैं तो शुरू में हमें और का खबर ना बताया जाता है यही वर्ण होते हैं।
हिंदी भाषा में 52 वर्ण होते हैं इन वर्णो को दो भागों में बांटा गया है स्वर वर्ण और व्यंजन वर्ण। स्वर वर्ण की संख्या 11 होती है और व्यंजन वर्ण की संख्या 33 होती है। इसके अतिरिक्त एक (अं)अनुस्वार और एक विसरग (अ:) और दो दिगुण व्यंजन तथा चार संयुक्त (क्ष, त्र, ज्ञ, श्र) व्यंजन भी वर्णमाला में होते हैं
2. शब्द विचार (Shabd Vichar), शब्द विचार क्या है?
वर्णों के मेल को शब्द कहते हैं जिसका कोई अर्थ होता है। जब दो या दो से अधिक वर्ण मिलकर एक सही अर्थ देते हैं उसे शब्द कहते हैं जैसे कमल, खाना, दिल्ली, रमेश, पानी आदि।
3.वाक्य विचार (Vakay Vichar), वाक्य विचार क्या है?
अनेक शब्दों के मेल से एक वाक्य बनता है और यह शब्दों का मेल किसी अर्थ को भी प्रकट करता है जैसे लड़का आ रहा है, राम स्कूल जा रहा है।
4. पद विचार (Pad Vichar), पद विचार क्या है?
जब किसी शब्द का उपयोग वाक्य में किया जाता है तब किसी विशेष शब्द को एक विशेष पद हासिल होता है।
" जब कोई शब्द किसी वाक्य के अंग (या भाग) के रूप में प्रयुक्त (प्रयोग) होता है तो उसे पद कहा जाता है" जैसे 'लड़का, लड़की' एक शब्द है।
' लड़का' शब्द का प्रयोग वाक्य में प्रयोग किया जाए तो इसके विभिन्न रूप मिलेंगे ।
जैसे लड़का किताब पढ़ता है लड़के ने किताब पढ़ी।
इस लेख में व्याकरण किसे कहते हैं व्याकरण के कितने भेद होते हैं कि बारे में बताया है।
हिंदी भाषा का महत्व Hindi Bhasha ka Mehtav
हिंदी भारतीय-आर्य भाषा-परिवार की भाषा है। संस्कृत भाषा से लेकर पाली, प्राकृत, अपभ्रंश, आदि स्थानों से गुजराती हुई हिंदी आज समूचे भारत की संपर्क भाषा बन गई है। हिंदी का विकास अंतरक्षेत्रीय भाषा, राष्ट्रभाषा, राजभाषा और अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में हो रहा है। हमारे जन-जीवन, सामाजिक, सांस्कृतिक-संप्रेषण, ज्ञान-विज्ञान और सृजनात्मक साहित्य की भाषा के रूप में विकसित हिंदी हमारी ही नहीं, अपितु पूरे विश्व की शिक्षा व्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर चुकी है। इसी का परिणाम है कि हिंदी अपने देश में मात्रिभाषा, प्रथम भाषा द्वितीय भाषा के कई रूपों में पढ़ी और पढ़ाई जा रही है और यह भारत के बाहर कई देशों में भी पढ़ने और पढ़ाने का विषय है।
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भाषा और व्याकरण Bhasha or Vayakaran
भाषा एक व्यवस्था है। जहां भी कोई व्यवस्था होती है, वहां उसके कुछ नियम होते हैं। इसलिए हर भाषा के अपने नियम होते हैं। इन्हीं नियमों के आधार पर मातृभाषा इस व्यवस्था को अपने परिवेश से सहज रूप में सीख लेते हैं, किंतु अन्य भाषा-भाषी को इन नियमों के माध्यम से भाषा व्यवहार सिखाया जाता है। नियमों की इस पूरी व्यवस्था को ही व्याकरण कहते हैं। व्याकरण के नियमों को सीखने के बाद शिक्षार्थी भाषा का शुद्ध प्रयोग करने में सक्षम हो जाता है भाषा के साथ सहयोग और व्यवहार से यह व्याकरणिक नियम शिक्षार्थी स्वतः ही समझ लेता है।
भाषा की सार्थक इकाई (Vakay) वाक्य है। वाक्य से छोटी इकाई (Upvakay) उपवाक्य है, और उपवाक्य से छोटी इकाई (padbandh) पदबंध है। पदबंध से छोटी इकाई पद (शब्द), पद से छोटी इकाई (Akshar) अक्षर (सिलेबल Silebal) और अक्षर से छोटी इकाई ध्वनि (Dhavani) अथवा वर्ण (Varan) है। इन सब इकाइयों की रचना, प्रकृति और प्रयोग विधि का ज्ञान करावाना व्याकरण का काम है। आम तौर पर भाषिक व्यवस्था के तीन स्तर होते हैं।
1. वर्ण-व्यवस्था
2. पद-व्यवस्था
3. वाक्य-व्यवस्था
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