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वेब 3.O क्या है, यह इंटरनेट से कैसे अलग है? Web 3.O के फायदे

वेब 3.O क्या है, यह इंटरनेट से कैसे अलग है?

आज हम अपनी पोस्ट (लेख) में जानेंगे, कि वेब 3.O क्या है, और यह हमें इंटरनेट से कैसे अलग करता है? क्या इसकी खासियत होगी, और क्या इसके नुकसान हैं? (Web 3.O Meaning in Hindi) तो आज हम अपने इस लेख में इन सभी विषयों को कवर करेंगे।


इस बात से सभी लोग वाकिफ हैं, कि जैसे-जैसे कोरोना महामारी की चपेट बढ़ती गई, और लोग काफी दिनों तक घरों में कैद रहे, तो इसी वजह से इंटरनेट का इस्तेमाल पहले से काफी गुना बढ़ गया।

दशक 1980 में वेब 1.O हुआ करता था। फिर धीरे-धीरे इसका अगला वर्जन आया जो वेब 2.O, और अब आज के टाइम में 3.O का वर्जन आया है, जिसके बारे में हम जानेंगे।

Web 3.O क्या है? इससे पहले हम पिछले 2 वर्जनों के बारे में जानकारी लेंगे।

वेब का विकास (1.O & 2.O & 3.O)

वेब 1.O क्या है? What is Web 1.O in Hindi?

वेब 1.O का मतलब है, नॉर्मल स्टैटिक वेबसाइट (Normal Static Website) यानी कि उस जमाने में हम केवल ब्लॉग वेबसाइट को ब्राउज करके पढ़ते सकते थे। इसके अतिरिक्त और कुछ भी करने के लिए हमारे पास अनुमति नहीं होती थी।

1980 के दशक में वेब का प्रथम वर्जन वेब 1.O का आविष्कार हुआ था। परंतु इसमें लोग केवल ब्राउजिंग ही कर पाते थे। यानी कि आप अपने मोबाइल या कंप्यूटर में किसी भी वेब पेज को ब्राउज़र करके केवल जानकारियां पढ़ सकते थे। लेकिन उस वक्त इंटरनेट की दुनिया में यह एक बहुत बड़ी खोज व सफलता थी।

आप एक दूसरे से कनेक्ट नहीं हो सकते थे। वेब 1.O के माध्यम से इंटरनेट पर आप केवल दूसरों द्वारा लिखी हुई जानकारियां ही पढ़ सकते थे। आप किसी भी साइट पर अपना अकाउंट नहीं बना सकते थे और ना ही आप कमेंट कर सकते थे।

सोशल मीडिया साइट्स वेब 1.O के समय में नहीं हुआ करती थी। जिस प्रकार से आज हुआ करती है।

Web 2.O क्या है, What is Web 2.O in Hindi?

वेब 2.O यानी के डायनेमिक एंड इंटरएक्टिव वेबसाइट (Dynamic & Interactive Website) जिसका मतलब है कि यूजर वेबसाइट के ऊपर गेम खेल सकता है, अपना अकाउंट बना सकता है और यहां तक कि कमेंट भी कर सकता है। आज के वक्त में वेब का यही वर्जन चल रहा है। यहां तक कि गूगल भी वेब 2.O पर ही है।

वेब के दूसरे वर्जन 2.O का आविष्कार सन 2000 दशक के आसपास हुआ है और इसके आविष्कारक Darcy Dinucci थे। इस नए संस्करण के अंतर्गत ब्राउजिंग करने के साथ-साथ आप पेज पर अपना अकाउंट भी बना सकते हैं और एक दूसरे से कनेक्ट रहने की सुविधा भी मिल सकती है और कमेंट भी कर सकते हैं।

दुनिया में काफी लोग ऐसे हैं या ऐसे होंगे। जिनको यह नहीं पता है कि वेब 2.O होता क्या है? तो अपने इस लेख में हम आपको संक्षिप्त में बता देते हैं, कि आज के समय में आप इंटरनेट पर जो ब्राउजिंग करते हैं, वही वेब 2.O है। इस के ही माध्यम से आप ब्राउज़ करने के साथ-साथ उसी पेज पर कमेंट भी कर पाते हैं और वहीं पर आप अपना अकाउंट भी बना सकते हैं।

इस वक्त वेब 2.O में अगर आप कोई वेब पेज को ओपन करते हैं, जैसे कि कंप्यूटर या मोबाइल में ब्राउज करते हैं, तो आप वहां पर जानकारियां पढ़ने के साथ-साथ उस पेज के ऊपर लॉगइन करके अपना अकाउंट भी बना सकते हैं, क्योंकि वहां पर लॉगइन करने का ऑप्शन रहता है। इसके अलावा आप वहां पर कांटेक्ट फॉर्म भर कर उस साइट के ओनर से कनेक्ट भी हो सकते हैं।

ई-कॉमर्स साइट के लिए वेब 2.O ने खास करके एक बहुत अच्छा मौका दिया। अपने प्रोडक्ट को वहां पर सेल करने का। इस संस्करण ने ब्लॉगिंग को भी काफी तेजी से आगे बढ़ाया है। आज के समय में आप बड़ी-बड़ी कंपनियों के प्रोडक्ट को दुनिया भर के किसी भी हिस्से में इंटरनेट के माध्यम से बेच सकते हैं।

वेब 2.O की सहायता से सोशल मीडिया साइट्स जैसे कि फेसबुक, टि्वटर, इंस्टाग्राम इत्यादि प्लेटफॉर्म का विकास काफी तेजी से हुआ है। अगर आप फेसबुक या फिर कोई अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर एक दूसरे से कनेक्ट हो पाते हैं, या अपना अकाउंट बनाकर रख सकते हैं, तो यह केवल वेब 2.O की माध्यम से संभव हो सका है।

आज के वक्त में इंटरनेट पर आपको जितने भी वेबसाइट या ब्लॉग देखने को मिलते हैं, यह सब वेब 2.O संस्करण की वजह से ही संभव है।

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Web 3.O क्या है, हिन्दी में। What is Web 3.O in Hindi?

वेब 3.O मतलब डिसेंट्रलाइज्ड यानी विकेंद्रीकृत इंटरनेट है। जहां पर सारी सेवाएं ब्लॉकचेन पर चलेंगी। यानी के इस संस्करण में Website के फीचर के ऊपर किसी भी बात को डिसाइड नहीं किया जा सकता। बल्कि इसका मेजर एलिमेंट होगा डिसेंट्रलाइजेशन।

इस डीसेंट्रलाइजेशन को वेब 3.O को ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पावर देगा और यही ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी क्रिप्टोकरंसी में भी उपयोग की जाती है।

ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी में किसी भी तरह का कोई भी डाटा किसी एक सर्वर या कंप्यूटर पर नहीं होता। बल्कि दुनिया भर के काफी सारे कंप्यूटर या सभी कंप्यूटर पर थोड़ा-थोड़ा करके होता है। यही वजह है कि इससे किसी भी हैकर को हैक कर पाना नामुमकिन हो जाता है।

वेब 3.O में हर एक यूजर अपने कंटेंट का मालिक होगा। इसमें कोई एक कंपनी नहीं होगी। इसको इस प्रकार से समझा जा सकता है कि इन दिनों गूगल चाहे तो अपने सर्च इंजन को अपने मुनाफे के लिए यूज कर सकता है।

वेब 3.O के वर्जन का विकास सन 2010 दशक के बाद से ही शुरू हो गया था और यह वेब 2.O से कई कदम आगे होगा। यह नया संस्करण पूरी तरह से खुला होगा और यहां पर हमारी वेब सिक्योरिटी पूरी तरह से सिक्योर होगी।

वेब 3.O वेब का थर्ड वर्जन है, जो कि पिछले दो संस्करणों में बची हुई कुछ कमियों को और अच्छी तरह से सुधारने के लिए, इसका आविष्कार किया गया है। इस संस्करण में हमारा डाटा इंटरनेट पर पूरी तरह से सुरक्षित रहेगा।

वेब 3.O के संस्करण का कंट्रोल किसी एक के पास नहीं होगा, अपितु सभी के पास थोड़ा-थोड़ा रहेगा या आप इस तरह से समझ सकते हैं कि इसका किसी के पास भी कोई कंट्रोल नहीं रहेगा। जिसके कारण हैकर को किसी तरह का कोई भी डाटा हैक कर पाना नामुमकिन होगा।

आपको यह लग रहा होगा कि वह 3.O का कंट्रोल सबके पास थोड़ा-थोड़ा कैसे हो सकता है। लेकिन यह सच है। अगर आपने क्रिप्टोकरंसी का नाम सुना होगा तो आप यह भी जानते हैं कि इसका कंट्रोल भी किसी एक के पास ना होकर बल्कि हर कंप्यूटर में थोड़ा-थोड़ा होता है। ऐसे में यदि कोई हैकर कंप्यूटर या सर्वर को हैक करना चाहे तो भी वह नहीं कर सकता। क्योंकि दुनिया भर के सभी सर्वर और कंप्यूटर को एक साथ है कि नहीं किया जा सकता।

जिस प्रकार क्रिप्टोकरंसी के डाटा ब्लॉकचेन में फीड होते हैं। उसी प्रकार से डिसेंट्रलाइजेशन में भी डाटा किसी एक कंप्यूटर में नहीं होगा अपितु ब्लॉकचेन में रहेगा और ऐसी स्थिति में आपका Data पूरी तरह से Safe एवं Secure रहेगा।

उदाहरण के तौर पर यदि आप वेब 3.O के संस्करण में कोई डोमेन नेम खरीदते हैं तो खरीदने वाले का पता एवं नाम किसी भी प्रकार की जानकारी कोई नहीं निकाल पाएगा। क्योंकि यह सारी जानकारियां ब्लॉकचेन में रहेंगी।

वेब 3.O डिसेंट्रलाइज्ड के फायदे Advantages of Web 3.O Decentralized

डिसेंट्रलाइज्ड के काफी सारे फायदे होंगे-

1. सर्वरलेस होस्टिंग Serverless Hosting 

डिसेंट्रलाइज्ड मे डेटा किसी एक सर्वर पर ना होकर पूरे सर्वर पर बिखरा होता है, जिससे आपको होस्टिंग की जरूरत नहीं पड़ेगी।

2. डेटा स्वामित्व

सालों से, टेक्नोलॉजी के धुरंधरों ने user-generated डेटा का शोषण और नियंत्रित किया है। End-users Blockchain द्वारा दिए गए वेब 3.O का इस्तेमाल करके डाटा का पूर्ण स्वामित्व दिया जाता है। 

2. Security 

आपको डिसेंट्रलाइज्ड में पूरी तरह से सिक्योरिटी मिलती है। क्योंकि हमारा डाटा जब भी किसी एक सर्वर पर होता है। तभी हैकर को उसे हैक करना आसान हो जाता है। लेकिन यहां पर हमारा डाटा किसी एक सर्वर पर ना होकर बल्कि काफी सारे सर्वर और कंप्यूटर पर रहेगा। जिसके कारण हैकर को दुनिया के सभी कंप्यूटरों को एक साथ हैक कर पाना मुमकिन नहीं होगा। यदि किसी एक सिस्टम में आपकी वेबसाइट की कोई भी फाइल करप्ट हो जाती है तो आईपीएफएस सिस्टम (IPFS SYSTEM) दूसरे सिस्टम से फाइल को कंपेयर करके देख लेगा और हमें यह पता चल जाएगा कि फाइल करप्ट हो चुकी है। उसे हम यूज नहीं करेंगे इस तरह से हमारा वेबसाइट (Website) या ब्लॉग (Blog) हमेशा के लिए सिक्योर रहेगा।

3. Privacy 

हमारे कंप्यूटर पर जो भी डाटा होगा, उसे कोई भी ढूंढ नहीं पाएगा। क्योंकि यह डाटा किसी एक कंप्यूटर या सर्वर पर ना होकर काफी जगह मौजूद रहेगा। जिसकी वजह से हमारा डाटा पूरी तरह से सेफ रहेगा और हमारी प्राइवेसी सुरक्षित रहेगी। उस डाटा को हमारे खुद के सिवाय हमारी परमिशन के बिना कोई और नहीं देख पाएगा।

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Web 3.O की आवश्यकता The need for Web 3.O in Hindi 

  • वेब 2.O में इंटरनेट ट्रैफिक और इंटरनेट में ज्यादातर डाटा का प्रबंधन या मालिकाना बहुत कम कंपनियों द्वारा किया जाता है, जैसे कि गूगल।
  • इसने डेटा सुरक्षा डेटा प्राइवेसी और ऐसे डेटा का दुरुपयोग से संबंधित समस्याएं पैदा कर दी हैं।
  • इंटरनेट का मूल उद्देश्य इसी वजह से विकृत हो गया है।

Web 3.O का क्या महत्व है? What is the importance of Web 3.O in Hindi?

निष्पक्ष इंटरनेट और विकेंद्रीकृत: वेब 3.O एक निष्पक्ष इंटरनेट और विकेंद्रीकृत सुविधा प्रदान करेगा जहां पर हर एक उपयोगकर्ता खुद के डाटा को स्वयं नियंत्रित कर सकता है।

मध्यस्थों का हटना: ब्लॉकचेन के माध्यम से किए गए लेनदेन का समय और स्थान, स्थाई रूप से दर्ज होगा।

इस तरह से वेब 3.O मध्यस्थ की भूमिका को खत्म करके सहकर्मी से सहकर्मी (बेचने वाले से खरीदने वाले) के बीच लेनदेन को बढ़ावा देगा। इस अवधारणा को ऐसे बढ़ाया जा सकता है।

पारदर्शिता और विकेंद्रीकरण: Web 3 (DAO) विकेंद्रीकृत स्वायत्त संगठन पर केंद्रित है।

व्यवसायिक नियमों के अंतर्गत जो भी नियम है, DAO उनसे संबंधित है, जो किसी भी लेनदेन में सभी को देखने के लिए पारदर्शी रूप से मौजूद है, और इन नियमों का अनुरूप सॉफ्टवेयर द्वारा लिखा जाएगा।

DAO के साथ मान्य या प्रमाणित करने के लिए केंद्रीय प्राधिकरण की कोई जरूरत नहीं है।

वह 3.O उपभोक्ताओं और उत्पादकों को एक समान रूप से अधिक लचीलापन की हक देगा।

यह सुनिश्चित करने के लिए Web 3.O विकेंद्रीकृत नेटवर्क का इस्तेमाल करेगा, कि उपभोक्ताओं का अपने ऑनलाइन डेटा पर हमेशा नियंत्रण बना रहे।

वेब 3.O की विशेषताएं 

Web 3.O की विशेषता यह है, कि यह सूचना के बारे में प्रासंगिक डाटा मेटाडेटा के साथ सूचनाओं को एनोनेट करने की अनुमति देता है। उदाहरण के लिए: किसी फोटो, में छवि में मौजूद लोगों की संख्या फोटो लेने के लिए, किस प्रकार के कैमरे का इस्तेमाल किया गया और फोटो की जगह के बारे में मेटाडेटा शामिल हो सकता है।

वेब 3.O में क्या क्या परिवर्तन होंगे?

वेब 3.O के अस्तित्व में आ जाने के बाद आपके पास ज्यादा पावर होगी। इंटरनेट पर आपका Content केवल आपका ही होगा और इसके बदले में आपको टोकन दिया जाएगा। चाहे आप अपना कंटेंट किसी भी Platform पर Post करें यह राइट आपके पास रहेगा। अभी तक इसकी पकड़ बड़ी-बड़ी कंपनियों के पास हुआ करती थी।

उदाहरण बतौर यदि आपने अपने फेसबुक या यूट्यूब अकाउंट पर कोई कंटेंट शेयर किया, तो वह एक प्रकार से उनका हो जाता है, और फेसबुक या यूट्यूब आपके कंटेंट को अपने हिसाब से इस्तेमाल कर सकते हैं।

वेब 3.O के आ जाने के बाद ऐसा नहीं होगा। यहां कोई भी कंपनी यह तय नहीं करेगी कि आपका कंटेंट हटाया जाए या फिर रखा जाए। कई बार सोशल मीडिया से आपके Content हटा दिए जाते हैं या ऐसा भी होता है कि आप वहां पर कंटेंट पोस्ट ही नहीं कर पाते।

3.O के आ जाने से आप अपना डाटा खुद कंट्रोल कर सकेंगे। क्योंकि यहां वेब 2.O की तरह आपका डाटा किसी एक कंपनी के पास नहीं होगा। जिस प्रकार ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी में क्रिप्टोकरंसी का लेन देन और हिसाब किताब किसी एक कंपनी के पास ना रहकर उन लोगों के पास होता है, जो ब्लॉकचेन नेटवर्क में होते हैं। यानी कि वह लोग क्रिप्टोकरंसी रखते हैं।

Web 3.O के अंतर्गत ब्लॉकचेन की तरह ही डाटा किसी Central Server पर ना रहकर हर एक यूजर की डिवाइस में होगा। हालांकि यह इंक्रिप्टेड होगा। जिस वजह से यह कोई नहीं जान पाएगा कि यूजर का डाटा कहां है ऐसे में अभी जिस प्रकार से सोशल मीडिया और इंटरनेट की कुछ कंपनियों में मोनोपोली है, वह बिल्कुल भी नहीं रहेगी।

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कब आएगा Web 3.O? When will Web 3.O come?

वेब 3.O आ चुका है, अब इस वर्जन के अंतर्गत TLD डोमिन को खरीद भी सकते हैं। इस तरह के डोमिन आपको किसी रजिस्ट्रार के पास नहीं मिलेंगे। क्योंकि इनका रिकॉर्ड ब्लॉकचेन में होता है।

TLD डोमिन को आप वेबसाइट या ब्लॉक के साथ और कई प्रकार से इस्तेमाल कर पाएंगे। जैसे- आपका सोशल मीडिया प्रोफाइल या यूजरनेम में इस्तेमाल कर सकते हैं। इसे आप बिटकॉइन एड्रेस भी बना सकते हैं या इसके अतिरिक्त कई तरह से इसके डोमेन का उपयोग भी कर सकते हैं।

ब्लॉकचेन पर सभी TLD डोमिन की जानकारी लिखी होती है। इसी वजह से डोमिन खरीदने वाले का नाम एवं पता ढूंढ पाना नामुमकिन होता है। जिसकी वजह से से कोई हक नहीं कर पाएगा।

FAQ

वेब 3.O कितना सुरक्षित है?

यह पहले वर्जन से ज्यादा सुरक्षित है, क्योंकि इसका पूरा कंट्रोल और ओनरशिप आपके पास होगी। जिसका उपयोग आप खुद कर सकते हैं।

Web 1.O क्या है?

वेब 1.O नॉर्मल स्टैटिक वेबसाइट (Normal Static Website)है। जिस में यूजर सिर्फ ब्राउज़ करके ब्लॉग वेबसाइट को पढ़ पाते थे। इसके अतिरिक्त और कुछ करने की अनुमति नहीं होती थी।

Web 2.O क्या है?

यूजर जितनी भी वेबसाइट पर विजिट करते हैं या जहां पर यूजर को लॉगिन एवं कमेंट करके प्रोफाइल बनाने की सुविधा मिलती है। वह सभी वेबसाइट web 2.O के अंतर्गत है। लेकिन उनका आने वाला भविष्य अभी 3.O है।

Web 3.O क्या है?

इंटरनेट का अगला वर्जन वेब 3.O है। जहां पर सारी सेवाएं ब्लॉकचेन के माध्यम से चलेंगी। यह डिसेंट्रलाइज्ड यानी के विकेंद्रिकृत इंटरनेट है, जो सार्वजनिक ब्लॉकचेन के आधार पर चलता है, और इसका इस्तेमाल क्रिप्टोकरंसी के लेनदेन में भी किया जाता है।

Web 3.O कब से शुरू हुआ?

धीरे-धीरे वेब 3.O पहली बार 2006 के दशक में सामने आया था। उसके बाद इसका विस्तार तेजी से 2010 के बाद हो रहा है।

निष्कर्ष Conclusion

आज आपने हमारे इस लेख में जाना की वेब 3.O क्या है? (Web 3.0 Explained in Hindi) मुझे पूरी उम्मीद है कि आपको जानकारी स्पष्ट हुई होगी। अगर फिर भी आपके कोई सवाल हो, तो आप कमेंट करके पूछ सकते हैं, और यदि आपको हमारा लेख पसंद आया हो, तो इसे अपने सोशल मीडिया अकाउंट या अपने दोस्तों में शेयर जरूर करें।

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