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इंटरनेट क्या है? इंटरनेट कैसे काम करता है? What is Internet in Hindi?

इंटरनेट क्या है? इंटरनेट कैसे काम करता है? What is Internet in Hindi? How does the Internet work?

इंटरनेट क्या है? इंटरनेट एक ग्लोबल वाइड एरिया नेटवर्क अर्थात वैश्विक व्यापक क्षेत्र नेटवर्क होता है जो कि सारी दुनिया के कंप्यूटर सिस्टम को आपस में जोड़ कर सकता है इसमें बहुत सारी High Bandwidth Data Lines शामिल होती है,जो इंटरनेट का मुख्य आधार या बैकबोन मानी जाती है।
आज इंटरनेट हर क्षेत्र में प्रमुख केंद्र बना हुआ है इंटरनेट आज बैंकिंग, टेक्नोलॉजी, शिक्षा, कम्युनिकेशन और मनोरंजन हर क्षेत्र में प्रमुख केंद्र है। आज के समय में जीवन की कल्पना करना बिना इंटरनेट के मुश्किल है इंटरनेट ने आज क्षेत्र में समस्याओं को खत्म किया हुआ है आज हम इस लेख में आपको इंटरनेट से जुड़ी वह सभी तथ्य और जानकारियां बताएंगे जिनके बारे में हर एक व्यक्ति को जानकारी होनी आवश्यक है।

इंटरनेट क्या है? What is Internet in Hindi

इंटरनेट आपस में जुड़े कंप्यूटरों का जाल है जो सर्वर और राउटर के द्वारा सारी दुनिया के कंप्यूटर को आपस में जोड़ता है। सूचनाओं का आदान प्रदान करने के लिए TCP/IP Protocol के द्वारा 2 कंप्यूटरों के मध्य संबंध को इंटरनेट कहते हैं इंटरनेट दुनिया का सबसे बड़ा नेटवर्क है इस नेटवर्क में लाखों-करोड़ों कंप्यूटर आपस में जुड़े होते हैं।

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हिंदी में इंटरनेट का अर्थ: Internet Meaning in Hindi

इंटरनेट इंग्लिश भाषा का शब्द है जो इंग्लिश शब्द Internetworked से लिया गया है इंटरनेट को हिंदी में अंतरजाल कहते हैं यह कई कंप्यूटरों का चाल है इसके माध्यम से सभी कंप्यूटर आपस में जुड़े होते हैं।

इंटरनेट का मालिक कौन है? Owner of Internet

प्रत्येक वस्तु का कोई ना कोई मालिक (Owner) होता है। जब इंटरनेट के मालिक की बात आती है तो इस प्रश्न के दो उत्तर हो सकते हैं।
1. कोई नहीं: इंटरनेट का मालिक कोई एक व्यक्ति नहीं है दुनिया के कोई भी एक देश या कोई सरकार वह कंपनी इंटरनेट पर अपना अधिकार नहीं रख सकती है हमारे कहने का मतलब यह है कि इंटरनेट पर एकाधिकार किसी का नहीं है।
2. बहुत सारे: इंटरनेट में विभिन्न बीट्स और टुकड़े होते हैं और इनका एक मालिक अवश्य होता है इस हिसाब से इंटरनेट के हजारों मालिक हैं इनमें से कुछ मालिक इंटरनेट के गुण और तर्क को कंट्रोल कर सकते हैं वह पूरे इंटरनेट के मालिक नहीं होती फिर भी वह इंटरनेट के अनुभव को प्रभावित करते हैं।

इंटरनेट का इतिहास: History of Internet in Hindi


कहा जाता है कि आवश्यकता आविष्कार की जननी है इंटरनेट पर यह बात बहुत सही बैठती है इंटरनेट की हिस्ट्री ज्यादा पुरानी नहीं है शीत युद्ध 1960 में सूचनाओं को गुप्त तरीके से तेजी से चलाने के लिए या सूचनाओं का आदान प्रदान करने के लिए इसकी आवश्यकता हुई इस जरूरत को पूरा करने के लिए नेटवर्क की खोज हुई जिसे इंटरनेट का नाम दिया गया इंटरनेट की खोज किसी एक व्यक्ति ने नहीं की आइए इंटरनेट के खोजकर्ता ओं के बारे में आपको विस्तार से बताते हैं।


इंटरनेट की खोज करने में कई लोग शामिल थे शीत युद्ध के दौरान लियोनार्ड प्ले रॉक में अमेरिकी रक्षा विभाग को इस तकनीक के बारे में योजना तैयार की इस योजना में कई कंप्यूटरों को आपस में जोड़ कर सेना की जरूरी सूचनाओं का आदान प्रदान किया जाता था और इस नेटवर्क को तैयार करने के लिए उनका साथ एम आई टी के वैज्ञानिक J.C.R Licklider और Robert Taylor ने दिया। उन्होंने 1962 में कंप्यूटर का एक Galactic Network तैयार करने का प्रस्ताव रखा। इस पर के समय तक काम चलता रहा। सन 1965 में m.i.t. वैज्ञानिक ने जानकारी को एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर तक भेजने का तरीका विकसित किया जिसे पॉकेट स्विचिंग Pocket Switching का नाम दिया गया। Pocket Switching डाटा को पैकेट या ब्लॉक में डाटा ट्रांसफर करता था सीमित राज्य अमेरिका ने इस तकनीक की शुरुआत सबसे पहले संयुक्त राज्य अमेरिका के रक्षा विभाग की एडवांस रिसर्च प्रोजेक्ट एजेंसी द्वारा की गई थी। इस तकनिक को ARPANET का नाम दिया गया। इस ARPANET में कंप्यूटर को एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर को जोड़ने के लिए NETWORK CONTROL PROTOCOL का इस्तेमाल किया गया था।
ARPANET के माध्यम से 29 OCT 1969 को पहला सन्देश *LOGIN* लिखकर भेजा गया, जो सफल भी हुआ, और सुन देश में शुरुआत वाले दो अक्षर "LO" ही ट्रांसफर हुआ। 1969 में सिर्फ 4 कंप्यूटर से जुड़े थे लेकिन 1970 में यह नेटवर्क और अधिक बढ़ता गया। 
1971 में यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई University  of Hawaii के ALOHNET को जोड़ा और 2 साल के बाद लंदन के यूनिवर्सिटी कॉलेज और नार्वे के रॉयल रडार प्रतिष्ठान ने नेटवर्क को जोड़ा। सबसे पहला Email, Ray Thomlinson मैं उन 70 में भेजा था 370 के अंत तक विंटन सेरफ कंप्यूटर वैज्ञानिक ने संसार के सभी मिनी नेटवर्क ओं पर संवाद करने के लिए कंप्यूटर में एक तकनीक विकसित करके समस्या का समाधान करना शुरू कर दिया था उन्होंने इस खोज को ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकोल का नाम दिया उसके पश्चात एक और फोटो को जोड़ा गया जिसे इंटरनेट प्रोटोकॉल (IP) के नाम से जाना जाता है। अभी जिन इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं उसमें TCP/IP प्रोटोकॉल का ही प्रयोग होता है। विंडसर और रोबर्ट इ ने 1974 में एक पेपर प्रकाशित किया जिसे The Father  of Th Internet के नाम से जाना जाता है।

भारत में इंटरनेट की शुरुआत कब हुई?

भारत में इंटरनेट 14 अगस्त 1995 में शुरू किया गया लेकिन 15 अगस्त 1996 को विदेश संचार निगम लिमिटेड था तो बीएसएनल ने इसे शुरू किया इस इंटरनेट का उपयोग जरूरी सूचनाओं के आदान-प्रदान में किया गया था इसकी गति केवल 8-10 kbps थी। भारत में पहले केवल 20 30 कंप्यूटर आपस में जुड़े थे और इंटरनेट कनेक्शन का खर्च भी अधिक था। 500-600 रुपए 9-10 kbps स्पीड के इंटरनेट का महीने का खर्चा उसमें यह बहुत अधिक था परंतु आज के समय में इंटरनेट हर व्यक्ति के पास है हर क्षेत्र में इंटरनेट का इस्तेमाल होने लगा है।

इंटरनेट की पहली वेबसाइट क्या थी? First Website on Internet

6 अगस्त 1992 को इंटरनेट का पहला वेब पेज शुरू हुआ इस पेज में वर्ल्ड वाइड वेब प्रोजेक्ट की जानकारी दी गई थी टीम बर्नर्स ली ने इसे बनाया था यह यूरोपीय संगठन ऑर्गेनाइजेशन फॉर न्यूक्लियर रिसर्च कंप्यूटर पर संचालित हुआ था।

इंटरनेट की पहली वेबसाइट

http://info.cern.ch/hypertext/WWW/TheProject.html

इंटरनेट कैसे काम करता है?

आप ये सोचते होंगे कि इंटरनेट कैसे काम करता है इंटरनेट सेटेलाइट के जरिए या माध्यम से चलता है यदि आप यह सोचते हो और आपका जवाब हां है तो आपकी सोच गलत भी हो सकती है। वैसे तो इंटरनेट सेटेलाइट के माध्यम से भी चलाया जा सकता है। परंतु जिस इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं वह Optical Fibres Cables के माध्यम से हम तक पहुंचता है। Optical Fibres Cable को सबमरीन केबल के नाम से भी जाना जाता है।

हमारे द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला इंटरनेट हम तक तीन कंपनियों के द्वारा पहुंचता है इन तीन कंपनियों को तीन भागों में बांटा गया है।
Tier 1, Tier 2, Tier 3.

Tier 1: इसमें वे कंपनी आती है जिन कंपनियों ने ऑप्टिकल फाइबर केबल का नेटवर्क समुद्र के अंदर से पूरे संसार तक पहुंचाया ऑप्टिकल फाइबर केबल के द्वारा संसार के सभी सरवर एक दूसरे से जुड़े रहते हैं।

Tier 2: इसमें टेलीकॉम कंपनियों जैसे वोडाफोन, एयरटेल, आइडिया कंपनी शामिल है इन कंपनियों के द्वारा इंटरनेट हम तक पहुंचता है।
Tier 3: इसमें लोकल एरिया की सभी छोटी सी छोटी कंपनी आती है जैसे Tier 2  तिकोना की कंपनियां Tier 2 से डाटा को खरीद्ती है। फिर Tier 2 की कम्पनियां Tier 1 की कंपनी से प्रति GB के हिसाब से डाटा खरीदनी है और हम लोग Tier 2 वाली कंपनियों से डाटा खरीदते हैं।


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