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मानसून में होने वाली बीमारियां और उनसे रोकथाम- Monsoon Diseases and Their Prevention

मानसून में होने वाली बीमारियां और उनसे रोकथाम- Monsoon Diseases and Their Prevention

जिस तरह हर अच्छे ऋतु का कोई बुरा पक्ष होता है, उसी तरह मानसून का भी बुरा पक्ष होता है। मानसून में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। जिससे मौसम से संबंधित कई बीमारियां शरीर पर हमला कर देती है। वर्षा के कारण मच्छरों का प्रजनन होता है, इससे मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियां पैदा होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। मानसूनी रोगों के उपचार से और वर्षा ऋतु में आहार-विहार में सावधानी बरतना जरूरी है।

खान-पान का रखें ध्यान- Take Care of Diet

मानसून के मौसम में स्वस्थ रहना है तो खानपान पर विशेष ध्यान देना पड़ेगा क्योंकि मानसून में पाचन तंत्र का कमजोर होना एक आम बात है।

🔸 अधिक मास मछली के सेवन से बचे रहें।

🔸 ज्यादा से ज्यादा फलों और सब्जियों का सेवन करें।

🔸 तले हुए खाद्य पदार्थों का परहेज करें।

🔸 ऐसे खाद्य पदार्थ का इस्तेमाल करें जिसमें पानी की मात्रा अधिक हो जैसे करी आदि ना लें।

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🔸 बाहरी स्थानों पर सलाद आदि से परहेज करें। बाजार के दूध उत्पाद जैसे पनीर और मिठाई के सेवन से बचें।

साफ सफाई का रखें ध्यान- Take Care of Cleanliness

🔹 मानसूनी मौसम में सीवरेज, ट्रेन और पानी आपूर्ति की पाइप में पानी का बहाव तेज होने और दवाब बढ़ने के कारण पानी रिसने लगता है। कई जगह पर पाइप टूट भी जाता है। इस तरह बारिश या सीवरेज का पानी जल आपूर्ति के पानी के साथ मिलकर उसे प्रदूषित कर देता है। जिसे हैजा, टाइफाइड, दस्त, हेपेटाइटिस और पेट संबंधी बीमारियां होने की आशंका बढ़ जाती है।

🔹 तापमान में आई अचानक गिरावट में सर्दी-जुकाम, निमोनिया, टॉन्सिलाइटिस के साथ-साथ एलर्जीक बीमारियां होने की आशंका रहती है।

🔹 मधुमेह के मरीजों को नंगे पांव चलने से बचना चाहिए क्योंकि पानी तथा कीचड़ से पैरों में संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है।

🔹 दिन में सोने से बचें। अत्यधिक शारीरिक परिश्रम करने से भी बचें।



मानसून में होने वाले रोग और उनसे रोकथाम

1. मलेरिया- Malaria 

2. हैजा- Cholera

3. टायफायड- Typhoid

4. चिकनगुनिया और डेंगू- Chikungunya and Dengue

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1. मलेरिया- Malaria 

मलेरिया बहुत खतरनाक बीमारी है। बार-बार नियमित अंतराल पर बुखार आना, सिर में दर्द और मितली होने के अलावा ठंड भी लगती है। रोगी की पेशियों में दर्द और कमजोरी का अनुभव होता है।

मलेरिया से रोकथाम- Prevention of Malaria

क्योंकि यह बीमारी मच्छरों से फैलती है इसलिए मच्छरदानी हो और रिपेलेंट का उपयोग मलेरिया रोकथाम में किया जाना चाहिए। इसके अलावा, घर के आसपास पानी एकत्र ना होने दें, क्योंकि ठहरा हुआ पानी मच्छरों के पनपने में सहायक होता है। नालियों में डीडीटी का छिड़काव करें, बीमारी के बारे में संदेह होने पर तत्काल चिकित्सक से सलाह जरूर लें।

2. हैजा- Cholera

हैजा मानसूनी मौसम में ज्यादा तेजी से फैलता है। प्रदूषित खाद्य और जल इस बीमारी के फैलने का प्रमुख कारण है। जहां स्वच्छता नहीं रहती, वहां यह बीमारी तेजी से फैलती है। पानी जैसा दस्त आना, हैजे का सामान्य लक्षण है। बीमारी में अत्यधिक वमन भी होते हैं, जिससे शरीर में पानी की तेजी से कमी होती है, और पेशियों में ऐठन होने लगती है।

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हैजा से रोकथाम- Prevention of Cholera

इससे बचने के लिए है हैजा का टीका लेना बेहतर विकल्प होता है। बेहतर रोकथाम के लिए पेयजल को साफ रखें, और पीने से पहले उबालें। अच्छा होगा साफ सफाई पर विशेष ध्यान दें। यद्यपि हैजा का उपचार आसानी से किया जा सकता है। किंतु लक्षणों की शुरुआत में उपेक्षा करने पर यह जानलेवा भी हो सकता है। इस बीमारी की स्थिति में ओरल रिहाइडेशन (नमक पानी का घोल) तत्काल दिया जाना चाहिए।

3. टाइफाइड- Typhoid 

प्रदूषित भोजन और जल इस बीमारी का प्रमुख कारण है। बीमारी का बुरा पक्ष यह है, कि टाइफाइड का संक्रमण और उपचार के बावजूद रोगी के पित्ताशय में रुक सकता है। जो रोगी के स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकता है। लंबे समय तक बुखार बीमारी का सबसे सामान्य लक्षण है, सिर दर्द और पेट में अधिक दर्द भी इस बीमारी के संकेत हैं।

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टाइफाइड की रोकथाम- Prevention of Typhoid 

टाइफाइड रोगियों को परिवार के अन्य सदस्यों से अलग रहना चाहिए, क्योंकि यह उच्च संचारी बीमारी है। पहले से टिका लेना इस बीमारी से बचने का आसान तरीका है। टाइफाइड रोगियों को अत्यधिक सावधानी बरतने की जरूरत है। क्योंकि 2 सप्ताह तक यह बीमारी फिर से हमला कर सकती है। इसलिए इस बीमारी से मुक्ति मिलने के बाद परहेज और सावधानियां जरूरी है।

4. चिकनगुनिया और डेंगू- Chikungunya and Dengue

चिकनगुनिया और डेंगू का प्रसार देश में तेजी से हुआ है। यह मानसूनी बीमारियां मच्छरों के काटने से होती है। दोनों बीमारियों के लक्षण करीब-करीब समान होते हैं। चिकनगुनिया में इनफ्लुएंजा के लक्ष्ण उभरते हैं, और अचानक तेज बुखार आता है। जिसके साथ जोड़ों में दर्द होता है, पैरों और हाथों में सूजन, मसूड़ों में रक्त बहाव का होना और त्वचा पर खराश इसके अन्य लक्षण हैं।

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डेंगू के लक्षण सिर दर्द ठंड और रीढ़ के नीचे दर्द होना है। इस बीमारी से शरीर का तापमान 104 डिग्री तक जा सकता है। जिससे हृदय गति और रक्तचाप बंद हो जाते हैं।

चिकनगुनिया और डेंगू से रोकथाम- Prevention of Chikungunya and Dengue

इन दोनों बीमारियों से बचने का सबसे अच्छा उपाय यह है, कि मच्छरों के काटने से बचें। इस रोग से बचने के लिए अभी कोई निरोधात्मक दवा या टीका उपलब्ध नहीं है। घरों को मच्छरों से मुक्त रखना ही बेहतर विकल्प होता है।

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ऐसे बचाव करें मच्छरों से- How to protect from mosquitoes

🔸 मच्छर प्रतिरोध को का उपयोग करें।

🔸 पूरी आस्तीन वाली कमीज और पैंट पहने।

🔸 मच्छरों को बाहर रखने के लिए खिड़की और दरवाजे पर जाली लगवाएं।

🔸 गमले, बालटियों और ड्रमों से भरा पानी हटा दें।

चिकनगुनिया और डेंगू से सावधानी बरतें मरीज- Patients should be careful with Chikungunya and Dengue

चिकनगुनिया और डेंगू बुखार से प्रभावित मरीजों को मच्छरों के काटने से बचना चाहिए। इस बीमारी के कीटाणु मच्छरों के जरिए दूसरों के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। ऐसे मरीजों को मच्छर प्रतिरोधक क्रीम का उपयोग करना चाहिए, अथवा घर के अंदर मछरदानी का उपयोग जरूर करना चाहिए।

नोट: किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य संबंधित समस्या को दूर करने या बीमारी से राहत पाने के लिए अपने डॉक्टर या विशेषज्ञ की सलाह अवश्य ले लें। किसी तरह की दवाई का इस्तेमाल करने या किसी घरेलू उपचार को करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।

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