रक्षाबंधन का त्यौहार, रक्षाबंधन क्यूँ मनाते हैं? Why do we Celebrate Rakshabandhan, The Festival of Rakshabandhan?
रक्षाबंधन का त्योहार सभी त्योहारों में हिंदू धर्म में सबसे पवित्र माना गया है। यह त्यौहार भाई बहन को समर्पित है। रक्षाबंधन का त्यौहार विश्वास और आस्था का पर्व है। बहनें अपने भाइयों की कलाई पर इस दिन रक्षा सूत्र बांधते हुए उनकी लंबी उम्र की कामना करती है। हर साल सावन महीने की पूर्णिमा पर भाई बहन के प्यार का प्रतीक रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाता है। रक्षाबंधन का त्यौहार भाई बहन को एक दूसरे के प्रति प्यार समर्पित करने का त्यौहार है। रक्षाबंधन का त्योहार एक बहन अपने भाई की सुरक्षा, संपन्नता और सफलता के लिए दुआ करती है, और भाई अपनी बहन के लिए सांभर रक्षा का प्रण लेता है।
भाई-बहन का प्रतीक माना जाने वाला यह त्यौहार हर साल सावन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रक्षाबंधन के दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है, और इस राखी का बहुत महत्व है। यह केवल एक धागा नहीं अपितु भाई बहन के प्यार का प्रतीक भी है। इस त्यौहार को राखी पूर्णिमा और राखरी भी कहते हैं।

Raksha bandhan 2024: रक्षाबंधन कब है?
इस वर्ष सावन पूर्णिमा की तिथि 19 अगस्त को सुबह के समय 3:00 बजे से शुरू होगी और इसका इसकी समाप्ति 19 अगस्त को रात्रि 11:00 बजकर 55 मिनट पर होगी। ऐसे में रक्षाबंधन इसी दिन अर्थात 19 अगस्त को मनाया जा रहा है।
रक्षाबंधन का त्यौहार सावन महीने पूर्णिमा को मनाया जाता है। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी यह त्यौहार शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को ही मनाया जाने वाला है।
रक्षाबंधन का त्यौहार भाई बहन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण रखने वाला त्यौहार है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई में राखी बांधती है। और अपने भाइयों की लंबी उम्र की प्रार्थना करती है। भाई बहन का यह त्यौहार सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को आता है।
रक्षाबंधन के लिए शुभ मुहूर्त Auspicious Time for Rakshabandhan
रक्षाबंधन मुहूर्त
रक्षाबंधन का मुहूर्त 30 अगस्त 2003 रात 9:00 बजे से लेकर 30 अगस्त सुबह 7:05 तक रहेगा परंतु 31 अगस्त को सावन पूर्णिमा सुबह 7:05 तस्वीरें तक ही है इस समय भद्रकाल नहीं होगा और 31 अगस्त को बहने राखी बांध सकती है। इसी वजह से इस साल मे 30 और 31 अगस्त को राखी का त्यौहार मनाया जाएगा। परंतु भद्र काल का ध्यान रखकर ही राखी बांधे।
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
शास्त्रों के अनुरूप भद्राकाल में राखी बांधना शुभ नहीं माना जाता है। भद्राकाल का समय 18 अगस्त 2024 की रात्रि 2:22 से शुरू हो रहा है और इसकी समाप्ति 19 अगस्त दोपहर 1:20 पर होने वाली है। इस समय राखी बांधना शुभ नहीं माना जाता है ।
पंचांग के अनुसार राखी को बांधने का शुभ मुहूर्त 19 अगस्त के दोपहर 1:33 से लेकर रात्रि 9:07 तक बताया जा रहा है।
किसी भी कार्य को करने से पहले आप संबंधित विषय के विशेषज्ञों से सलाह अवश्य ले लें कि राखी का सही समय कौन सा है।
राखी एक विशेष और शुभ पर्व है। इस त्यौहार में शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान और महत्व होता है। भद्रा काल का विचार करना रक्षाबंधन में बहुत ही आवश्यक माना गया है। राखी बांधते समय बहन भाइयों की कलाई पर भद्र काल और राहु काल दोनों का विचार कर लेना चाहिए। मान्यता के मुताबिक इन दोनों ही काल को अशुभ माना जाता है। भद्र काल और राहु काल में राखी नहीं बंधवानी चाहिए।
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रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं Happy Rakshabandhan 2024
रक्षाबंधन का त्यौहार इस बार 19 अगस्त के दिन मनाया जा रहा है।
--टुटे से भी नहीं टूटेगा,
ऐसा है यह बंधन हमारा,
कहती रक्षाबंधन है सारी दुनिया इसे।
रक्षाबंधन की शुभकामनाएं।
--- जन्मों का यह बंधन है,
विश्वास और स्नेह का,
गहरा हो जाये और भी यह रिश्ता,
बन्धता है जब धागा प्यार का।
हैप्पी रक्षाबंधन।
--- पावन त्यौहार है ये रक्षाबंधन का,
लेकर आया है, खुशियों की बहार,
चारों और है छाई खुशियां,
भैया रक्षाबंधन की ढेर सारी बधाई हो आपको।
Happy Raksha Bandhan 2023.
त्यौहार रक्षाबंधन का सभी के लिए उपहार है। रखना रिश्तो की लाज, बहुत बड़ा त्यौहार है। होती यूं तो,,, बहुत यहां पर,,, धर्म की बातें, सभी धर्मों से बड़ा भाई बहन का यह प्यार है।
आप सभी को रक्षाबंधन की असीम शुभकामनाएं।
रक्षाबंधन क्यों मनाते हैं Why Velebrate Rakshabandhan
बहुत जल्द रक्षाबंधन का आने वाला है, और सभी बहनों के चेहरे पर यह बात सुनते ही खुशियां झलक जाती है, और बहनें खुश हो भी क्यों ना, क्योंकि भाई बहन का यह रिश्ता ही कुछ ऐसा होता है, की इसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। दुनिया भर में इस पवित्र रिश्ते का सम्मान किया जाता है।
कोई ही ऐसा व्यक्ति होगा जिसे, यह पता नहीं होगा कि रक्षाबंधन का क्या अर्थ है? और रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है।
बहन और भाई की बॉन्डिंग पूरी तरह से यूनिक होती है। पूरी दुनिया भर में जहां बहन और भाई के इस रिश्ते को इतना सम्मान दिया जाता हो, वहां पर भला भारत पीछे कैसे रह सकता है। भारतवर्ष में इस रिश्ते को एक अलग ही पहचान दी गई है, क्योंकि भारत एक संस्कृतियों की भूमि माना जाता है।
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रक्षाबंधन एक अनोखा हिंदू त्यौहार है। इसे केवल भारतवर्ष में ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी पूरे हर्ष उल्लास और धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
रक्षाबंधन का क्या मतलब है What is the Meaning of Rakshabandhan
रक्षाबंधन का त्यौहार दो शब्दों के मेल से बना हुआ है। रक्षा* और *बंधन का मतलब, संस्कृत भाषा के मुताबिक एक ऐसा बंधन है, जो रक्षा प्रदान करता है। यहां पर रक्षा का मतलब बहनों की रक्षा करना है, और बंधन का मतलब एक गांठ से है, जो एक डोर है, जो की रक्षा प्रदान करती है।
रक्षा और बंधन दोनों शब्द मिलकर भाई बहन के प्यार का प्रतीक है। यह रिश्ता केवल खून के रिश्ते को ही नहीं समझता,अपीतू एक पवित्र रिश्ते को भी जताता है। यह त्यौहार खुशियां देने वाला त्यौहार है, और भाइयों को याद दिलाता है, कि वे उनकी बहनों की हमेशा रक्षा करें।
रक्षाबंधन का इतिहास क्या है What is the History of Rakshabandhan
पूरे भारतवर्ष में रक्षाबंधन का त्यौहार काफी धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह एक ऐसा त्योहार है, जिस त्यौहार को गरीब और अमीर सभी बहुत ही प्यार से मनाते हैं। लेकिन इसके साथ साथ बाकी त्योहारों की तरह रक्षाबंधन के त्यौहार का भी इतिहास है। जिसके पीछे काफी लोकप्रिय कहानियां छुपी हुई है।
आइए आपको रक्षाबंधन इन हिंदी की कुछ कहानियां बताते हैं----
1. सम्राट अलेक्जेंडर और सम्राट पूरु
रक्षाबंधन के त्यौहार की सबसे पुरानी कहानी 300 शताब्दी में हुई थी। उस वक्त अलेक्जेंडर भारत को विजय करने के लिए अपनी सारी सेना के साथ भारत आया था। भारत में उस वक्त सम्राट पूरु का बोलबाला था। एलेग्जेंडर उस समय किसी से भी नहीं हारा हुआ था, और उनको सम्राट पुरु से लड़ने में भी काफी परेशानियां हुई।
जब एलेग्जेंडर की बीवी को रक्षाबंधन के बारे में मालूम पड़ा, तो उन्होंने सम्राट पूरु के लिए राखी भेजी थी, ताकि सम्राट पूरु एलेग्जेंडर को जान से ना मारे। वही सम्राट पूरु ने भी अपनी बहन की आज्ञा का पालन किया, और एलेक्जेंडर को बख्श दिया।
2. सम्राट हुमायूं और रानी कर्णावती
सम्राट हुमायूं और रानी कर्णावती की कहानी का एक अलग ही महत्व है। बात उस समय की है, जब मुसलमान राजाओं से राजपूतों को युद्ध करना पड़ा था। अपने राज्य को बचाने के लिए उस समय भी राखी काफी प्रचलित थी। जिससे भाई अपनी बहनों की रक्षा करते थे। उस वक्त चित्तौड़गढ़ की रानी कर्णावती करती थी वह एक विधवा रानी थी।
गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने ऐसे में उन पर धावा बोल दिया। रानी अपने राज्य को बचाने में असमर्थ थी। इस पर उन्होंने सम्राट हुमायूं को अपनी रक्षा करने के लिए एक राखी भेजी, और सम्राट हुमायूं ने भी अपनी बहन की रक्षा के लिए सेना की एक टुकड़ी चित्तौड़ भेज दी। जिससे बाद में बहादुर शाह की सेना को पीछे हटना पड़ गया था।
रक्षाबंधन का महत्व Importance of Rakshabandhan
रक्षाबंधन का एक अलग महत्व होता है। भाई बहन का ऐसा प्यार शायद ही आपको कहीं दूसरे त्योहारों पर देखने को मिले। यह परंपरा भारत में काफी प्रचलित है, और इसे सावन पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया जाता है।
एक मात्र यही एक ऐसा पर्व है, जिस पर पर बहन भाई के हाथों में राखी बांधकर अपनी रक्षा के लिए कसमे लेते हैं। भाई का कर्तव्य होता है, कि वह किसी भी परिस्थिति में अपनी बहन की रक्षा करें। पूरी दुनिया में आपको ऐसा पवित्र पर्व कहीं भी देखने को नहीं मिलेगा।
सभी किसानों, समुद्र की यात्रा करने वाले व्यवसाय के लिए, मछुआरों के लिए यह महीना काफी महत्व रखता है। रक्षाबंधन के त्यौहार को नारियल पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन इंद्र देवता और समुद्री वरुण देवता की पूजा की जाती है, और इसके साथ-साथ देवताओं को नारियल भी अर्पित करते हैं। जिसके साथ साथ लोग खुशहाली और कामयाबी की कामनाएं करते हैं।
रक्षाबंधन 2024 पर शायरी Raksha Bandhan Shayari 2024 in Hindi
आज के इस आधुनिक दौर और आधुनिक युग में हर एक व्यक्ति के पास स्मार्टफोन मौजूद है, और लोग आजकल अपनी भावनाओं को प्राप्त करने के लिए एक दूसरे तक मैसेज के जरिए भावनाएं प्रकट करते हैं।
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आप भी अगर उन्हीं में से एक हो, तो आपको भी रक्षाबंधन 2023 शायरी को एक बार जरूर देखना चाहिए।
Raksha Bandhan Quotes in Hindi
भाइयों को बहनों का साथ मुबारक,
भाइयों की कलाइयों को बहनों का यार मुबारक,
हमेशा रहे सुख आपकी जिंदगी में,
आप सभी को रक्षाबंधन का पावन त्योहार मुबारक।
तोड़े से ना टूटे, ऐसा यह बंधन है,
कहती जिसको सारी दुनिया रक्षाबंधन है।
कच्चे धागों की डोर है राखी,
मीठी- मीठी शरारतों और प्यार की होड़ है राखी,
भाइयों की लंबी उम्र की दुआ है राखी।
जिओ तुम भैया हजारों साल,
कामयाबी मिले तुम्हें हर बार,
तुम पर खुशियों की हो बौछार,
करते हैं हम यही दुआ बार-बार।
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