Ticker

अपना दिमाग कैसे नियन्त्रित करें? How to control your Subconscious mind?

अपना दिमाग कैसे नियन्त्रित करें?बुरी आदतों से छुटकारा कैसे पाएँ?How to control your subconscious mind?

आज हम आपको www.allinone89.in के इस लेख द्वारा एक स्टोरी के माध्यम से बताएंगे कि आप अपने दिमाग को कैसे नियंत्रित कर सकते हैं।
अपना दिमाग कैसे नियंत्रित करें-How to control your subconscious mind?इस विषय पर कई सारे शोध किए जा चुके हैं लेकिन बहुत से लोग इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि " दिमाग एक बल्ब की तरह कार्य नहीं करता जो कि Switch on करने पर चल पड़े और Switch  off करने पर बंद हो जाए। जिस तरह आप किसी चीज का टेस्ट लेने के लिए अपनी जीभ को नहीं रोक सकते, अपनी धड़कनों को धड़कने से नहीं रोक सकते, उसी प्रकार आप अपने दिमाग में आने वाले विचारों को भी नहीं रोक सकते। लेकिन दिमाग में आने वाले विचारों को नियंत्रित और संतुलित किया जा सकता है। जब आपका दिमाग स्थिर, संतुलित और फोक्स्ड हो तभी मुमकिन है, कि आप अपना लक्ष्य या टारगेट अचीव कर सकते हैं।
How to Control Your Subconscious Mind 
अपना दिमाग कैसे नियन्त्रित करें अगर आप अपने मन के कारण दुखी हैं और इसे अपने बस में करना चाहते हैं तो यह लेख (Story) आपको जरूर पढ़ना चाहिए।

यह भी पढ़ें➡️लक्ष्य कैसे बनाएं?


एक बार एक व्यक्ति एक बौद्ध भिक्षु से कहता है मुनि पर मेरे इस दुष्ट मन्ने मेरे जीवन को तहस-नहस कर दिया है मैं ना चाहते हुए भी ऐसी आदतें अपना चुका हूं जो मेरे जीवन में दुख भर रही हैं मैं क्या करूं मैं बहुत दूखी हूं। भिक्षु उस व्यक्ति से कहते हैं,  कृपा कर इस मन को गाली मत दो क्योंकि इस मन से बहुमूल्य इस जीवन में कुछ भी नहीं यह जीवन की परम भेंट है, जो तुम्हें मिली है। इसी मन से तुम चाहो तो संसार में उलझ जाओ और इसी मन से तुम चाहो तो संसार से सुलझ जाओ कृपा कर इसे दुष्ट ना कहो।

बुरी आदतों से छुटकारा कैसे पाएँ?

वह व्यक्ति पूछता है, फिर यह मन मुझे हर क्षण भटकाता क्यों है? वे बौद्ध भिक्षु उस व्यक्ति से कहते हैं, यह मन तुम्हें नहीं भटकाता बल्कि तुम खुद भटकना चाहते हो। यह तो केवल तुम्हारा साथ निभाता है तुम चोरी करोगे, तो यह तुम्हें चोरी के उपाय बताएगा तुम दान करोगे तो यह तुम्हें दान के उपाय बताएगा तुम जो भी करोगे यह तुम्हारी सहायता करेगा क्योंकि यह तुम्हारा दास है। वह व्यक्ति पूछता है, फिर यह मन मुझे वेश्यालय की तरफ क्यों खींचता है, क्यों यह मुझे नशे की तरफ खींचता है। वह बौद्ध भिक्षु कहते हैं क्योंकि तुमने अपने आप को इससे अलग कर लिया है तुम मान चुके हो कि तुम्हारा कोई दोष नहीं। गलती सारी मन की है और जब गलती किसी और की ही है, तो तुम कर भी क्या सकते हो, क्योंकि तुम्हें लगता है, कि करवाने वाला कोई और है, इसलिए तुम हर वह काम करते हो जो बाद में तुम्हें दुख देता है। तुम्हें यह समझना चाहिए कि मन तुम्हें कहीं नहीं ले जाता बल्कि तुम खुद इसे हर जगह ले जाते हो। यह तुम्हारी परछाई के जैसा है तुम जहां जाते हो यह तुम्हारे साथ जाता है। क्या किसी की परछाई उसे कहीं ले जा सकती है नहीं ना मन तो एक प्यारा सेवक है जो तुम्हारा हर आदेश मानने को तैयार है तुम क्रोध करते हो तो मन क्रोध करता है।

दिमाग में विचार क्यूँ आते हैं?

तुम घृणा करते हो तो मन घृणा करता है तुम प्रेम करते हो तो मन प्रेम करता है तुम दया करते हो तो मन दया करता है नहीं मन तुम्हें कहीं नहीं ले जाता ही नहीं,और ना तो ले जा सकता। तुम खुद कहीं जाना चाहते हो मन तो केवल तुम्हारा सहयोग करता है। यह और कुछ कर भी नहीं सकता।

वह व्यक्ति पूछता है क्षमा करें मुनिवर परंतु मैं कोई बुरा कृत्य करना क्यों चाहूंगा। बौद्ध भिक्षु उस व्यक्ति से कहते हैं सुख के लालच में जब तुम वेश्यालय जाते हो तो तुम्हें लगता है, कि तुम्हें वहां सुख मिलेगा जब तुम नशा करते हो तो तुम्हें लगता है, कि तुम्हें इससे सुख मिलेगा, परंतु हर बार अंत में तुम्हारे हाथ दुख लगता है। इसलिए तुम मेरे पास आए हो और क्या तुमने इस बात पर ध्यान दिया कि तुम्हारे मन में तुम्हें मेरे पास आने से नहीं रोका अगर मन बुरा होता तो क्या यह तुम्हें मेरे पास आने देता। यह तुम्हारे रास्ते की अड़चन नहीं बना है, इसलिए तुम्हें नहीं रोका क्योंकि यह वही करता है जो तुम इससे करवाना चाहते हो। अब कुछ चीजें तुम जानबूझकर करवाते हो और कुछ चीजें अनजाने में वे बौद्ध भिक्षु उस व्यक्ति से कहते हैं मन को अपशब्द कहने की बजाय इसे समझने का प्रयास करो और जब तुम इस मन को समझ जाओगे तो तुम चाह कर भी इसे गाली ना दे सकोगे।

वह व्यक्ति पूछता है तो अब मुझे क्या करना चाहिए मैं कैसे दिन बुरी आदतों को छोड़ो जो मेरे जीवन में प्रवेश कर चुकी है मुनि पर मैंने हर प्रयास कर लिया है मैं कश्मीर तक खा चुका हूं परंतु यह आदतें नहीं छूटती बौद्ध भिक्षु उस व्यक्ति से कहते हैं अगर बहुत प्रयास के बाद भी बुरी आदतें नहीं छूट रही हैं तो उन्हें छोड़ने का प्रयास छोड़ दो और एक नई आदत बनाओ वह व्यक्ति पूछता है कौन सी आदत मुनि पर वे बौद्ध भिक्षु कहते हैं ध्यान की आदत एक बार इस आदत को अपनाने के बाद चाहे कोई आदत छूटे या ना छूटे परंतु तुम इसे मत छोड़ना क्योंकि यही एक ऐसी आदत है जो तुम्हें इस काबिल बना सकती है कि तुम अपने मन को समझ सको इन बुरी आदतों के कारण और निवारण को समझ सको तो यह चिंता छोड़ दो कि जीवन में कुछ गलत है बस कुछ सही करने के लिए तैयार हो जाओ और उस सही को करने में अपना पूरा सामर्थ्य लगा दो।

Post a Comment

0 Comments