ट्राउट फिश फार्मिंग इन हिमाचल, ट्राउट मछली पालन- Trout Fish Farming in Himachal, Trout Fish in Hindi
Trout Fish Farming kya hai: आप सभी ने ट्राउट मछली का नाम तो सुना ही होगा, लेकिन फिर भी अगर आप में से कोई ट्राउट फिश के बारे में नहीं जानता तो आइए, हम आज all-in-one के इस आर्टिकल में आपको ट्राउट फिश फार्मिंग के बारे में जानकारी देते हैं। Contact for Trout Fish - 9805158354, 9736160280
What is Tourt Fish in Hindi: ट्राउट मछली औषधीय गुणों से भरपूर होने के साथ-साथ इस मछली का टेस्ट भी लाजवाब होता है। ट्राउट फिश के लिए किसी पोखर या तालाब की मदद भी ली जा सकती है, लेकिन सही मायने में इसके लिए रेसवे या जिसे हम साधारण भाषा में फ़िश टैंक कहते हैं, की मदद ली जा सकती है। इस मछली की विशेष बात यह है, कि इसकी देश विदेश के बड़े-बड़े होटलों में काफ़ी मांग है। मांग होने के साथ-साथ जो लोग इस का बिजनेस कर रहे हैं वह अच्छी कमाई भी कर रहे हैं।
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हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले से गांव दहड़ के रहने वाले गोपाल चंद ट्राउट फिश फार्मिंग चला रहे हैं इनके पास कुल मिलाकर 12 टैंक हैं। गोपाल चंद जी का कहना है, कि इनको मछली पालने का बहुत शौक था, और वह खुद नहीं जानते थे कि उनका शौक एक दिन पेशा बन जाएगा। आज उनके खुद के दो अलग-अलग जगह पर कुल मिलाकर 12 टैंक है।

इन (रेसवे) टैंक को पानी की सप्लाई देने के लिए इन्होंने नदी पर खुद एक बान्ध तैयार किया है। जिससे पाइप लगाकर टैंक के लिए सप्लाई दी जा सके। पानी के लिए जो बांध उन्होंने बनवाया है, उनके अनुसार उसकी कुल लागत ₹5 लाख के आसपास है, जबकि ट्राउट फिश फार्मिंग के लिए बनाए गए 12 टैंकों की कुल लागत लगभग 40 लाख रुपए के आसपास है।
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गोपाल चंद जी कहते हैं, कि फार्मिंग का काफी अच्छा चला हुआ है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ा। जिसकी वजह से बजट पर काफी गहरा असर पड़ा है।
हिमाचल में ट्राउट फिश की डिमांड शिमला मनाली बिलासपुर और मंडी सुंदर नगर शहर के होटलों में अच्छी सप्लाई जाती है। ₹600 KG से लेकर ₹650 KG तक ट्राउट फिश की सप्लाई की जाती है।
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दिल्ली जैसे बड़े शहरों में ट्राउट मछली पहले विदेशों से आती थी। लेकिन जब से हिमाचल में इसका उत्पादन शुरू किया गया है, तब से विदेशों से मछली की निर्भरता बहुत कम हो गई है। इससे लोगों की कमाई भी अच्छी हो रही है।
पोषक तत्वों और खनिजों से भरपुर ट्राउट मछली- Trout Fish Rich in Nutrients and Minerals, Trout Fish benefits in Hindi
ट्राउट मछली उच्च गुणवत्ता व कम वसा वाला प्रोटीन है। ट्राउट मछली के अन्दर विटामिन डी और विटामिन बी-2 व ओमेगा-3 फैटी एसिड भरपुर मात्रा में पाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त फास्फोरस और कैल्शियम से भी मछली समृध है, और खनिजों का भी एक बहुत बड़ा स्त्रोत है, जैसे कि- आयोडीन, जस्ता, लोहा, पोटाशियम और मैग्निशीयम इत्यादि। इसके अलावा मछली के तेल का सेवन करने से कई तरह की बीमारियों से निजात पाया जा सकता है।
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राज्य में ट्राउट मछली का रेट- Trout Fish Rate in the State
हिमाचल में ट्राउट फिश का मूल्य ₹600 KG से लेकर ₹700 KG है। अगर मछली पालन के खर्चे की बात की जाए तो लगभग रु350 से ₹400 में 1 किलो ट्राउट मछली तैयार की जाती है। ₹400 का खर्च 1 किलो मछली पर इसलिए आता है, क्योंकि मछलियों को खिलाया जाने वाला दाना विदेशों से आयात करना पड़ता है। हिमाचल प्रदेश में मछलियों का दाना (फ़ीड) नहीं मिलता इसे दिल्ली या लुधियाना से मंगवाना पड़ता है। कभी-कभी दाना (फ़ीड) खराब आने की भी गुंजाइश होती है, और इस तरह की बातों को ध्यान में रखते हुए मछली पालन पर ज्यादा खर्च आने की संभावना रहती है। ट्राउट मछली के बीज कि अगर हम बात करें, तो ₹5/pisces के हिसाब से यह मिलता है।
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ट्राउट फिश के लिए खुराक- Dosage for Trout Fish
🔸 ट्राउट फिश कि खुराक के लिए एक स्पेशल दाना (फ़ीड) लाना पड़ता है। जो दो अलग-अलग मूल्यों पर मिलता है।
🔸 अगर बच्चों की बात (छोटी मच्छ्लीयों) की जाए और उनकी खुराक के लिए अगर दाना (फ़ीड) लेकर आना है, तो ₹16500 क्विंटल के हिसाब से मिलता है।
🔸 जिन मछलियों का साइज बड़ा हो चुका होता है। उनके लिए यह दाना (फ़ीड) ₹13500 के हिसाब से मिलता है।
🔸 ट्राउट फिश का स्टैंडर्ड साइज 250 ग्राम से लेकर 300 ग्राम तक का होता है। जिसे आप कहीं भी सप्लाई कर सकते हो, जैसे कि बड़े-बड़े होटलों इत्यादि में।
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🔸 इस हज की मछली को तैयार करने के लिए लगभग 1 साल तक का समय लग जाता है।
ट्राउट फिश के लिए टैंक और इसका खर्च-Trout Fish Tank and its Cost
ट्राउट फिश फार्मिंग बिजनेस करने के लिए एक खास प्रकार के गड्ढे या टैंक बनाए जाते हैं। जो स्विमिंग रेसवे की तरह लंबे और गहरे होते हैं। एक (रेसवे) टैंक में लगभग 3000 मछलियां पाली जा सकती है।
इन टैंकों की लंबाई 17 मीटर, चौड़ाई 2 मीटर, और ऊंचाई 1.5 मीटर होती है 17m×2m×1.5m।
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ट्राउट मछली का वजन 1 किलो से लेकर 3 किलो तक हो सकता है।
इन मछलियों के लिए हमेशा ताजे पानी की और ठंडे पानी की जरूरत रहती है।
मछलियों के लिए पानी के टेंपरेचर की बात की जाए, तो 18 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा नहीं होना चाहिए। ज्यादा ठंडा पानी अगर होगा तो इससे इनको कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। लेकिन ज्यादा ठंडा पानी होने से एक दिक्कत हो सकती है। इन मछलियों की ग्रोथ के ऊपर फर्क पड़ सकता है। अगर पानी ज्यादा ठंडा होगा तो मछलियों की ग्रोथ नॉर्मल ग्रोथ से धीरे होगी।
टैंक में पानी की सप्लाई बराबर आनी चाहिए। लेकिन पहाड़ी इलाकों में इस तरह की कोई भी दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ता। उत्तराखंड और हिमाचल जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में नदी नालों में पूरे साल भर पानी ठंडा रहता है, और लगातार बहता रहता है। जिससे पानी की कोई दिक्कत या परेशानी नहीं आती।
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मछली पालन व्यवसाय के लिए सहायता राशि सरकार से मिलती है- Government Gets Assistance for Fish Farming Business
पहाड़ों में ठंडा पानी होने की वजह से ट्राउट की बढ़ोतरी बहुत धीमी गति से होती है। इसलिए इसे बिकने लायक होने में 1 साल से लेकर डेढ़ साल तक का समय लग जाता है।
सरकार मछली पालन के लिए सहायता राशि भी देती है सरकार यह धनराशि कैटेगरी वाइज आम लोगों तक पहुंचाती है जहां एक टैंक को बनाने में लगभग 3 से ₹4 लाख का खर्च आता है, उस खर्च पर सरकार 40% सब्सिडी भी दे रही है।
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