डिप्रेशन (अवसाद) क्या है? कैसे दूर करें डिप्रेशन? लक्षण और कारण What is Depression in Hindi
आज से ज्यादा नहीं सिर्फ 30-40 साल पहले की ही बात करें तो शायद ही किसी को याद आए कि उसने टेंशन, फ्रस्ट्रेशन, इगो, स्पेस, एंग्जाइटी या इन सब के बड़े भाई डिप्रेशन का नाम कभी सुना हो। आज यहां सारे शब्द और इनमें भी खासतौर से एंजाइटी और डिप्रेशन शब्द और इनकी गिरफ्त, इतनी आम बात हो चुकी है कि कम से कम नगरों में तो हर सामान्य व्यक्ति इनसे परिचित है ही। ध्यान देने की बात यह है कि जो देश सुविधाओं, संपन्नता और आधुनिकता की दौड़ में जितना आगे है, उसमें लोग उतना ही इन दोनों मानसिक परेशानियों की चपेट में है।
डिप्रेशन (अवसाद) क्या है? What is Depression in Hindi
डिप्रेशन मतलब अवसाद का विषाद का यही डर, जो हमारे व्यक्तित्व का हिस्सा बनता है, तो परिणाम स्वरूप सभी कामों में असफलता, भविष्य की चिंता करना, उसके बाद हीन भावना, इन सब को डिप्रेशन (अवसाद) कहते हैं, वैसे डिप्रेशन थोड़ा बहुत सभी को परेशान करता है, लेकिन जब यह व्यक्तित्व का और जीवन का हिस्सा बनने लगता है, तो स्थितियां गम्भीर होने लगती है।
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डिप्रेशन (अवसाद) के बारे में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता क्यों है?
इस वास्तविक मुद्दे के बारे में जागरूकता बढ़ाना महत्वपूर्ण है। डिप्रेशन को गंभीरता से लेना चाहिए। इसे दुनिया में विकलांगता का प्रमुख कारण कहा जाता है। आज लगभग 20% महिलाएं और 12% पुरुष इस मानसिक समस्या से जूझ रहे हैं। डिप्रेशन सिर्फ दुख महसूस करने से अलग है। हर कोई अपने जीवन में कुछ बिंदुओं पर उदास, सुस्ती और नीचे महसूस करता है। लेकिन तनावपूर्ण घटनाओं के लिए ये सामान्य मानवीय व्यवहार हैं। लोग थोड़े से प्रयास से दूसरे छोर से बाहर आते हैं। लेकिन नैदानिक अवसाद एक अलग शब्द है। यह एक मानसिक विकार है, और यह लंबे समय तक रहता है। यह विकार मस्तिष्क में महत्वपूर्ण परिवर्तनों के कारण होता है। नैदानिक अवसाद वाले लोग जीवन की तनावपूर्ण घटनाओं से सामान्य लोगों की तुलना में अधिक पीड़ित होते हैं। अवसाद आत्म-विनाश का कारण बन सकता है। यह सच है।
डिप्रेशन (अवसाद) के लक्षण इन हिन्दी Symptoms of Depression in Hindi
जब इसे दुनिया में विकलांगता का कारण कहा जाता है, तो कैसा दिखता है डिप्रेशन?
व्यर्थ की या बिना किसी ठोस कारण के चिंता, असफलता का भय, निराशा, दुख, मन का भटकाव, उदासीनता जैसे मानसिक लक्षणों के अतिरिक्त थकान, अत्यधिक पसीना आना, मुंह का सूखना और कंपकम्पी जैसे शारीरिक लक्षण, डिप्रेशन से प्रभावित व्यक्ति में आम तौर पर नजर आते हैं। व्यर्थ क्रोध या जरा जरा सी बात पर क्रोध, चिड़चिड़ापन, हमेशा नकारात्मक विचार, सन्देह आदी डिप्रेशन के स्थाई साइड इफेक्ट्स है।
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इसका मतलब है कि ये लोग गैर-कार्यात्मक हैं। उनका शरीर और मस्तिष्क कार्य नहीं कर सकते हैं। वे ध्यान केंद्रित करने की क्षमता खो देते हैं, वे हर चीज में रुचि खो देते हैं। वे ज्यादा बात नहीं करते। वे बोलना बंद कर देते हैं, लोगों की भूख कम हो जाती है, वे ठीक से खाना नहीं खा पाते हैं। कभी-कभी वे कम खाते हैं और वजन कम करते हैं। हालांकि, वे अधिक खा सकते हैं और महत्वपूर्ण वजन हासिल कर सकते हैं। डिप्रेशन (अवसाद) में लोग अक्सर प्रेरणा खो देते हैं। वे हर चीज की इच्छा खो देते हैं। अवसादग्रस्त लोग मन और शरीर की असहाय, निराश और अंधकारमय स्थिति में होते हैं। यह बात सिर्फ अकेला महसूस करने और बुरे दिन आने से कुछ ज्यादा है। ये लोग आनंद और आनंद के क्षणों को महसूस करने में असमर्थ होते हैं। वे लगातार शोक की स्थिति में हैं। यह व्यक्तियों के दैनिक जीवन में हस्तक्षेप करता है, और उनका जीवन सुखद नहीं होता है। वे हमेशा दोषी होने का कारण ढूंढते हैं।
डिप्रेशन के प्रमुख कारण इन हिन्दी, डिप्रेशन के क्या कारण है? Major Causes of Depression in Hindi
सवाल पैदा होता है कि आखिर इस डिप्रेशन होने के क्या कारण हो सकते हैं?
विशेषज्ञों के अनुसार थायराइड हार्मोन का लो लेवल, कैंसर या कोई अन्य लंबी बीमारी, परिवार के किसी प्रिय सदस्य की असमय मृत्यु, आर्थिक संतुलन, प्रेम में असफलता, परीक्षा में फेल हो जाना, एचआईवी एड्स, पार्किंसन आदि डिप्रेशन का कारण बन सकते हैं।
हर वक्त टीवी न्यूज़ देखना और अखबारों की नकारात्मक खबरों पर ध्यान देना भी एक ऐसा मानसिक माहौल पैदा करता है, जो डर पैदा करता है, और यह जब बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, तब भी डिप्रेशन की समस्या सामने आने लगती है।
हमें इन अजीबोगरीब मानसिक रोगों से परेशानी होती है। यह वह चीज है जिसके बारे में लोग एक समुदाय में बात नहीं करते हैं, जहां हर किसी को तब प्यार किया जाता है जब वे सुनहरे और कार्यशील और निर्दोष होते हैं और जीवन के माध्यम से ग्लाइडिंग करते हैं। यह लोगों के लिए स्वीकार करने के लिए सबसे कठिन बीमारियों में से एक है। यह बात वहीं है। यह सब जगह है, और यह जीव विज्ञान है। और इसे गंभीरता से लेना चाहिए।
नैदानिक अवसाद का विशिष्ट कारण अभी भी अज्ञात है। लेकिन इसे पैदा करने में विभिन्न कारक शामिल हैं। इनमें आनुवंशिक, पर्यावरणीय, जैविक और मनोवैज्ञानिक कारक शामिल हैं। आपको यह स्वीकार करने में और संकोच नहीं करना चाहिए कि आपको मानसिक बीमारी की तरह कुछ हो रहा है, आपको यह स्वीकार करना चाहिए कि आपका अग्न्याशय इंसुलिन स्रावित नहीं कर रहा है।
डिप्रेशन (अवसाद) से कैसे बचा जा सकता है? How Depression Can Be Avoided in Hindi
अब सवाल तो एक ही है- आखिर डिप्रेशन पर काबू कैसे पाया जाए? डिप्रेशन कैसे दूर किया जा सकता है?
आम तौर पर सामान्य स्तर का डिप्रेशन और एंजायटी का इलाज स्वयं समय ही कर देता है। स्थितियों-परिस्थितियों का बदलाव स्वयं दवा बन जाता है। नया जॉब मिल जाना, विवाह, संतान का होना आदि जीवन में आए परिवर्तन इसे आसानी से दूर कर देते हैं। किंतु यदि डिप्रेशन का प्रभाव सीमा से अधिक है, तो इसकी चिकित्सा करना बहुत जरूरी हो जाता है। क्योंकि डिप्रेशन जब ज्यादा बढ़ने लगता है, तो व्यक्ति के अंदर अक्सर आत्महत्या की प्रवृत्ति या दूसरों के प्रति क्रोध की भावना बढ़ जाती है।
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एंग्जायटी क्या है? What is Anxiety in Hindi
आइए पहले एंगजायटी की ही बात करते हैं। अंग्रेजी में 3 लगभग समानार्थी शब्द है- फियर, एंग्जाइटी और फोबिया। फियर का अर्थ है-- सामान्य डर जो लगभग सभी को कभी ना कभी स्वाभाविक रूप से फील होता है। फोबिया बहुत सामान्य डर है, जिसके पीछे कोई भी कारण दिखाई नहीं देता, जैसे कि- किसी को पानी से डर लगने लगता है, तो किसी को ऊंचाई से, लेकिन एंजायटी डर का वह स्थाई भाव है, जो व्यक्ति के पूरे दैनिक जीवन को प्रभावित करता है। उदाहरण के लिए करियर या जीवन में नाकामयाबी का डर।
डिप्रेशन (अवसाद) की एटियलजि Etiology of Depression in Hindi
अवसाद विभिन्न कारकों के संयोजन के कारण होता है। तनाव की भूमिका, जीव विज्ञान का प्रतिच्छेदन, मनोवैज्ञानिक घटनाएं और बचपन यह छापने का सबसे अच्छा समय है कि कुछ लोग जीवन भर अवसाद के प्रति कितने संवेदनशील होते हैं।
1- आनुवंशिक कारक
जीन प्रभावित करते हैं कि एक व्यक्ति अवसाद विकसित करने के लिए कितना कमजोर है। सामान्य जीन वाले लोगों की तुलना में किसी प्रकार के आनुवंशिक मेकअप वाले लोग अपने जीवन में तनावपूर्ण घटनाओं का सामना करने पर अवसाद से ग्रस्त होते हैं। आपके जीन आपको इस समस्या के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकते हैं।
2- जैविक कारक
अवसाद का मुख्य कारण मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर की कमी है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में डिप्रेशन अधिक आम है। ऐसा इसलिए है क्योंकि जीव विज्ञान इसमें शामिल है। प्रजनन जीवन में, महिलाओं में हार्मोनल परिवर्तन (एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन) अवसाद का कारण बनते हैं। कुशिंग सिंड्रोम और हाशिमोटो की बीमारी वाले लोग अक्सर हार्मोनल गड़बड़ी के कारण अवसाद विकसित करते हैं।
3- पर्यावरणीय कारक
विभिन्न पर्यावरणीय कारकों के कारण अवसाद हो सकता है। यह किसी प्रियजन की मृत्यु या हानि के कारण हो सकता है। इस तरह के मानसिक मुद्दों से जूझ रहे लोगों पर माता-पिता या बच्चे की मृत्यु का एक शक्तिशाली प्रभाव हो सकता है। यौन या शारीरिक शोषण, प्रमुख पर्यावरणीय कारकों में से हैं जो महिलाओं और बच्चों में अवसाद पैदा कर रहे हैं।
4- मनोवैज्ञानिक कारक
डिप्रेशन को मूड डिसऑर्डर माना जा सकता है। जो लोग अपने जीवन में अधिक तनावपूर्ण घटनाओं का सामना करते हैं, उनमें अवसाद अधिक बार विकसित होता है। वैवाहिक जीवन के दौरान भावनात्मक गड़बड़ी, शारीरिक बीमारी और सामाजिक चिंताएं इसे सबसे ज्यादा प्रभावित कर सकती हैं। बेरोजगारी, सीमित संसाधन, अलगाव और वित्तीय संकट की घटनाएं बड़े कारणों में से हैं।
डिप्रेशन और एंगजायटी को दूर करने के उपाय Remedies for Depression and Anxiety in Hindi
एलोपैथिक क्या कहती है?
एलोपैथिक चिकित्सा की दृष्टि से डिप्रेशन और एंजाइटी दोनों के विकास में सहायक एक विशेष प्रकार का प्रोटीन बी डीएन पी का नियंत्रण अपने दैनिक जीवन में खानपान में बदलाव लाने पर अच्छी तरह से किया जा सकता है और इसमें पहला काम है, चीनी का बहुत कम उपयोग, दूध और दूध से बनी चीजों को दूर करना एवं अनाज के स्थान पर से अधिकतर मौसमी फल, हरी सब्जियां और निश्चित मात्रा में नट्स मतलब मेवे का उपयोग।
डॉक्टर कुछ दवाओं की सलाह भी देते हैं, जिनमें सबसे मशहूर प्रोजेक है। किंतु सारी की सारी एंटी डिप्रेशन दवाओं का शरीर के अन्य अंगों पर भी प्रभाव पड़ता है, इसके साथ बाद में भी इसके प्रभाव देखने को मिले हैं। जब भी Alopethik डॉक्टर्स एंटी डिप्रेशन की दवाई देते हैं, तो वह पहले यह अवश्य तय कर लेते हैं कि मरीज को कोई अन्य गंभीर प्रोब्लम या बीमारी, मसलन डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, ह्रदय रोग आदि तो नहीं है।
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आयुर्वेद में है डिप्रेशन का इलाज
आयुर्वेद के अनुसार शिरोधारा (सिर से तरल या तेल डालने की विधि जो केरल में बेहद लोकप्रिय है और वहां के प्राकृतिक चिकित्सालय में प्रमुख रूप से इसका प्रयोग होता है) बमन अर्थात औषधियों द्वारा उल्टी करवाना के अतिरिक्त अश्वगंधा, यष्टिमधु, (मुलेठी) ब्रह्मी, शतावरी के साथ सारस्वतारिष्ट एवं चंदनासव से इस समस्या पर नियंत्रण किया जा सकता है।
अश्वगंधा शक्ति वर्धक है उर्जा प्रदान करने वाली है, कोशिकाओं को नुकसान से बचाने वाली है और ओजस को बढ़ाती है, तो ब्र्म्ही रक्तशोधक है, समृद्धि दोष दूर करती है। शतावरी पोषण देती है तथा मन में सकारात्मक भाव को लाती है। मुलेठी हृदय के लिए उत्तम टॉनिक है, मांसपेशियों में ऐंठन में उपयोगी है तथा रक्त संचार में सुधार करती है। चंदन तो मन मस्तिष्क को शांति प्रदान करने में अग्रणी है ही, साथ ही यह सांस और तंत्रिका तंत्र को भी लाभ पहुँचाता है। अन्य औषधियां भी इसी प्रकार हमारे सारे तंत्रिका संस्थान, हृदय, मस्तिष्क, लीवर की क्रियाओं को व्यवस्थित करने में उपयोगी भूमिका निभाती है। इन औषधियों का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सक की देखरेख में एवं उसके निर्देशानुसार ही करना चाहिए।
मनोचिकित्सक द्वारा डिप्रेशन का इलाज
मनोचिकित्सकों का यह कहना है कि अवसाद ग्रस्त व्यक्ति से, प्रेम एवं मित्रता का व्यवहार, स्थान परिवर्तन, लगातार काउंसलिंग, उसे उसकी रूचि के अनुरूप किसी हॉबी जैसे- फोटोग्राफी, चित्रकला, संगीत आदि की ओर मोड़ना और नियमित रूप से स्पोर्ट्स एक्टिविटी से जुड़ाव व्यक्ति को अवसाद एवं एंजायटी दोनों से उबार सकते हैं।
डिप्रेशन दूर करने में आहार भी है असरदार
🔸 अनार, नारियल, अंगूर, काले चने, मौसमी फल, कद्दू, लौकी तथा ताजा सब्जियों को अपने नित्य आहार का हिस्सा बनाएं।
🔸 रात्रि में हल्के से हल्का भोजन कम से कम सोने से 3 घंटा पूर्व ले।
🔸 प्राणायाम को सुबह शाम की दिनचर्या की अनिवार्यता बनाएं। सुबह ध्यान करें।
🔸 सामाजिक कार्यों में सक्रिय भागीदारी निभाएं। मांसाहार पूरी तरह वर्जित है (अण्डे भी नहीं) और मादक पदार्थ भी नहीं।
🔸 सादे पानी में पुदीने की पत्तियां, चंदन या कोई भी मनपसंद इतर की कुछ बूंदे मिलाकर अच्छी तरह स्नान करें। स्नान करते समय जैसा भी हो वैसा कुछ भी गाएं-गुनगुनाए, पर्याप्त नींद लें।
🔸 बासी, गरिष्ठ तथा मसालेदार भोजन से दूर रहे। पैक्ड फूड बिल्कुल भी ना ले। पैकिंग करते समय प्रिजर्वेशन के लिए मिलाए गए कैमिकल सेहत को हमेशा ही नुकसान पहुंचाते हैं। प्रोसैस्ड चीजों से भी बचें।
योग में है डिप्रेशन का संपूर्ण उपचार
योग विज्ञान के अनुसार, योग तो मूल रूप से मस्तिष्क एवं भावना का ही विज्ञान है। त्रिकोणासन, पार्श्वकोणासन, उधर्व धनुरासन, वृक्षासन, सर्वांगासन, सेतुबंध आसन आदि इसके लिए उपयोगी आसन है, किंतु उन्हें किसी प्रशिक्षित योग प्रशिक्षक के निर्देशन में ही करना चाहिए। इसके अतिरिक्त नाड़ी शोधन, शीतली, (केवल ग्रीष्म में) एवं ओमनाद इन दोनों समस्याओं के लिए बेहतरीन उपाय है।
डिप्रेशन का पक्का इलाज क्या है? What is the Definitive Treatment for Depression in Hindi
भिन्न-भिन्न आयामों की सहायता से और मेडिटेशन से बिना किसी दवाई के डिप्रेशन का इलाज किया जा सकता है। अभी भी इस बात का शोध चला हुआ है। आपको कौन सा खेल पसंद है, कहां घूमना अच्छा लगता है, क्या खाना पसंद है, क्या करना अच्छा लगता है, या फिर कुछ और जिसे करने से आपका मन बेचैन रहता हो। डिप्रेशन से बाहर आने के लिए यह इलाज भी एक सफलतम इलाज पाया गया है।
डिप्रेशन में क्या नहीं खाना चाहिए? What not to Eat in Depression in Hindi
डिप्रेशन से पीड़ित इंसान को फ्राइड फूड, अधिक मीठी चीजें, उच्च मानकों पर संसाधित खाना अपनी डाइट में लेने से बचना चाहिए। इसके साथ साथ शराब का कम से कम सेवन करना चाहिए, और कैफीन का सेवन भी कम करना चाहिए। क्योंकि इन चीजों से डिप्रेशन की समस्या ज्यादा बढ़ सकती है।
डिप्रेशन कौन सी बीमारी है? Which Disease is Depression in Hindi
डिप्रेशन विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार एक आम मानसिक बीमारी है। आमतौर पर डिप्रेशन मूड में होने वाले उतार-चढ़ाव और शार्ट टाइम के लिए होने वाली भावनात्मक क्रियाओं से बिल्कुल अलग है। हमेशा दुखी रहना और पहले जैसे चीजों में रूचि ना हो पाना इसके लक्षण है।
ज्यादा तनाव लेने से क्या होता है? What Happens When you Take too Much Stress in Hindi
अगर तनाव का दौर लंबा चलता है, तो इससे व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर असर पड़ सकता है। जिसकी वजह से आपको दिल की बीमारी, डायबिटीज, अल्सर समेत बहुत सी मानसिक समस्याएं होने का खतरा रहता है। जैसे-- कि एंगजायटी और डिप्रेशन इत्यादि।
दिमाग में से टेंशन कैसे निकालें? How to Remove Tension From Mind in Hindi
अगर आप अपने मस्तिष्क और शरीर को शांत रखना चाहते हैं, तो रात को सोने से कम से कम 1 घंटे पहले आराम करें। अपने सेलफोन को एक साइड रख दें। उसमें ज्यादा समय व्यतीत ना करें। हो सके तो गर्म पानी से नहाएँ। किताबें पढ़ें, ध्यान लगाएं और म्यूजिक सुनें। मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए यह आते हैं बहुत प्रभावी सिद्ध हो सकती हैं।
कुछ विशेष सुझाव और उपाय Some Special Tips and Tricks in Hindi
🔹 इस लेख में हमने विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों में प्रयुक्त औषधियों का उल्लेख किया हुआ है, किंतु फिर से यह कहना चाहेंगे कि उन्हें उस पदती के विशेषज्ञों की सलाह के बिना प्रयोग ना करें।
🔹 मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर एवं गर्भवती महिलाओं को बमन से हानि हो सकती है। कैंसर रोगी को अश्वगंधा और शतावरी की मात्रा कितनी दी जाये, यह चिकित्सक ही बेहतर जानता है।
🔹 ब्रह्मी की अधिक मात्रा खुजली पैदा कर सकती है। बच बवासीर रोगी को हानि पहुंचाती है, और मुलेठी सोडियम का स्तर बढ़ाती है।
डिप्रेशन दूर करने के लिए परिवार का साथ है जरूरी
चिकित्सा की कोई भी विधि अपनाई जाए किंतु रोगी स्वयं तो इन पदतीयों के प्रयोग के निर्देशों का पालन करेगा नहीं, उल्टे यदि उसे यह भी कहा जाए कि तुम डिप्रेशन का शिकार हो, तो वह मानेगा ही नहीं। कई केसों में तो मनोचिकित्सक के पास जाने की बात से भी रोगी भड़क जाते हैं। अतः रोगी के परिवार के मेम्बर एवं फ्रेंड्स को भी इसमें बेहद सावधानी और धैर्य पूर्वक काम लेना चाहिए।
अवसाद और जीव विज्ञान Depression and Biology in Hindi
डिप्रेशन एक अनुवांशिक विकार है। इसमें कुछ हद तक आनुवंशिकता है। यह परिवारों में चलता है। जिन लोगों का अवसाद का पारिवारिक इतिहास रहा है, उनमें इसके होने की संभावना अधिक होती है। यह समान जुड़वां में हो सकता है। यदि उनमें से एक अवसाद में है, तो दूसरे में इसके विकसित होने की 50% संभावना है। इससे पता चलता है कि इसका जीन से बहुत कुछ लेना-देना है।
अध्ययनों से पता चला है कि अवसाद में एक भी जीन शामिल नहीं है। कुछ ऐसे जीन हैं जो इसमें अपनी भूमिका निभाते हैं। ये जीन इस बात के लिए प्रासंगिक हैं कि कोई व्यक्ति रोग विकसित करता है या नहीं। यह एक स्पष्ट खोज थी कि जीन का सेरोटोनिन से कुछ लेना-देना है।
ऐसा नहीं है कि 'हम सभी को डिप्रेशन हो जाता है। आइए इसे एक साथ रखें।' यह मुद्दा एक जैविक विकार के रूप में वास्तविक है जैसा कि मधुमेह है। हमारे आस-पास बहुत से लोग डिप्रेशन के शिकार हैं।
मस्तिष्क को क्या अवसाद करता है? What Depresses the Brain in Hindi
कुछ लोगों के मस्तिष्क में एक प्राकृतिक रासायनिक असंतुलन होता है जो इस स्थिति का कारण बनता है। मोनोमाइन की कमी के सिद्धांत के अनुसार, अवसाद का मूल कारण कम सेरोटोनिन, नॉरपेनेफ्रिन और डोपामाइन न्यूरोट्रांसमीटर है।
न्यूरोट्रांसमीटर सेरोटोनिन जुनून को प्रभावित करता है। Norepinephrine चिंता और ध्यान को प्रभावित करता है। डोपामाइन ध्यान, प्रेरणा और आनंद को प्रभावित करता है। यदि न्यूरोट्रांसमीटर में से एक नीचे है, तो यह प्रमुख अवसादग्रस्तता विकार का कारण बन सकता है।
अवसाद और हार्मोन Depression and Hormones in Hindi
हार्मोन का अवसाद से क्या लेना-देना है? विभिन्न हार्मोनल असंतुलन अवसाद का कारण बन सकते हैं।
थायराइड हार्मोन शरीर के चयापचय को बनाए रखने और शरीर को पर्याप्त गर्म रखने में शामिल होता है। जब थायराइड हार्मोन की भारी कमी हो जाती है, तो लोग मेजर डिप्रेशन में पड़ जाते हैं। हाइपोथायरायडिज्म प्रमुख अवसाद से जुड़ा हुआ है।
हाशिमोटो रोग नामक एक ऑटोइम्यून बीमारी में थायराइड हार्मोन स्रावित करने में समस्या भी शामिल है। तो, डिप्रेशन में थायराइड हार्मोन की बड़ी भूमिका होती है। इस मामले में अवसाद की गंभीरता समय के साथ बढ़ती जाती है।
महिलाओं में विशेष रूप से एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन में हार्मोनल परिवर्तन, प्रसवोत्तर अवसाद या पेरी-पार्टम शुरुआत के साथ अवसादग्रस्तता विकार का कारण बन सकते हैं । यह बच्चे के जन्म के बाद हो सकता है। कुछ अध्ययन बताते हैं कि यह बच्चे के जन्म से पहले भी हो सकता है। इसलिए, यह गर्भावस्था के दौरान या जन्म के चार सप्ताह बाद शुरू हो सकता है।
एक बात और जो अंत में कहना चाहता हूं "प्रीकॉशन इज बेटर दैन क्योर" अधिकांश मानसिक और शारीरिक व्याधियों से बचाव संभव है। लेकिन उसके लिए हमें अपनी सोच को बदलना होगा। जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण, हर घटना के प्रति सहज भाव, जीवन में जीत के साथ-साथ हार भी मिलती है। इस सत्य को स्वीकारना और मन को इसके लिए तैयार करना, अनुशासन, व्यायाम और प्रकृति से निकटता ही वह सामान्य लेकिन महत्वपूर्ण सूत्र है, जो हमारे मन और तन को सदैव ही स्वस्थ रख सकते हैं। फिर एंग्जाइटी और डिप्रेशन आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकती।
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