माफ करना इतना मुश्किल क्यों, माफ़ी कैसे माँगें- Why is it So Hard to Forgive, How to Apologize?
जाने क्यों लोगों का गुस्सा इतना बढ़ रहा है कि जरा जरा सी बात पर हाथापाई की नौबत आ जाती है। छोड़ो जाने दो, बात खत्म करो, ज्यादा मत बढ़ाओ जैसी बातें कोई नहीं बोलता अब, नहीँ छोडूंगा , देख लेंगे, तेरी हिम्मत कैसे हुई बातें ही सुनने को मिलती है। क्या किसी झगड़े को भूलना, किसी की गलती को माफ करना अब इतना मुश्किल होता जा रहा है? ढाबे वाले ने गाड़ी में खाना नहीं भिजवाया, तो गोली मार दी, मां ने पढ़ाई ना करने पर एक दो थप्पड़ मार दिए, तो छोटी बहन और मां का गला ही रेत दिया। स्कूल में दो बच्चों की लड़ाई हो गई तो बाहर दोस्तों के साथ उसे घेर लिया और लोहे की छड़ से मार मार कर उसे अधमरा ही कर दिया।
समाज का यह कौन सा चेहरा है, कैसा रूप है, जिसमें हर व्यक्ति अपने अंदर गुस्से का ज्वालामुखी लिए बैठा है। ना तो किसी से मजाक बर्दाश्त होता है और ना ही कोई माफ करना चाहता है। फिल्म अभिनेत्री नंदिता दास ने अपने एक इंटरव्यू में इस मामले पर कहा, "आजकल लोग छोटी-छोटी बातों को लेकर बखेड़ा खड़ा कर देते हैं, और बुरा मान जाते हैं, जबकि पहले ऐसा नहीं था। पहले जिन बातों को मजाक का विषय माना जाता था, या फिर जरा भी अहमियत नहीं दी जाती थी, अब बतंगड़ बन जाती है। लोग पहले के मुकाबले ज्यादा संवेदनशील होने लगे हैं और किसी को भूलने के लिए उन्हें काफी बहस और जद्दोजहद की जरूरत पड़ती है। कई लोग अपने मन में शिकायतों को पाल कर रखते हैं वह इससे आगे बढ़ना ही नहीं चाहते।" बात सोलह आने सही है। किसी ने जरा सा सा या नहीं कि हम लड़ने को तैयार रहते हैं।और भी पढ़ें➡️ सुबह दिन की शुरुआत कैसे करें? How to Start your day?
जब मन गुस्से से भर जाए, तो एक बार ठंडे दिमाग से सोचें कि जब गुस्सा करना इतना आसान है, तो माफ करना इतना मुश्किल क्यों तो फिर माफ करें और जीवन में आगे बढ़ें।
सोशल मीडिया का समाज पर प्रभाव, ऐसी बातों का बहुत हद तक दोष सोशल मीडिया पर बढ़ती हमारी भागीदारी को जाता है। आमने सामने बात करने से आप एक दूसरे के साथ इंवॉल्व होते हैं। आपस में एक जुड़ाव महसूस होता है। जिस वजह से एक दूसरे की बहुत सी बातें भी आप बर्दाश्त कर लेते हैं। अगर कोई आपसे मजाक भी करता है, तो आपको बुरा नहीं लगता क्योंकि सामने वाले की बॉडी लैंग्वेज आपको रिएक्ट करने से रोकती है, जबकि सोशल मीडिया पर आपको ना तो सामने वाले की तस्वीर दिखाई पड़ती है, और ना ही आवाज सुनाई पड़ती है। इस तरह से दो लोग आपस में जुड़ नहीं पाते, मैसेज से शुरू हुई बात मैसेज पर ही आकर खत्म हो जाती है।
सोशल मीडिया का नकारात्मक प्रभाव, व्हाट्सएप पर जब आप किसी को मैसेज भेजते हैं, तो इस उम्मीद में रहते हैं, कि सामने वाला भी आपका मैसेज उसी समय पढ़ ले, और तुरंत जवाब दे दे। अब हमारे सब्र का स्तर इस कदर कम हो चुका है, कि हमारा सारा ध्यान अपने मैसेज के एक टिक, दो टिक और दो रेखाओं के निली होने पर अटका रहता है। एक बार रेखाएं नीली हो जाए तो हमें सामने वाले के जवाब का इंतजार रहता है, अगर उसने जवाब नहीं दिया तो हमें बुरा लगना शुरू हो जाता है। हम बस यही सोचते हैं कि सामने वाला ऑनलाइन है, इसलिए उसे हमारे मैसेज का जवाब देना ही चाहिए, लेकिन यह भूल जाते हैं कि हो सकता है, कि वह किसी और वजह से ऑनलाइन हो। किसी से जरूरी चैट कर रहा हो, शब्दों को बोलने और टाइप करने में बहुत फर्क है। टाइप करने में ज्यादा समय लगता है, हो सकता है कि उसके पास इतना समय ना हो। धीरे-धीरे यह मानसिकता हम पर हावी होने लगती है, और हम आत्मकेंद्रित होने लगते हैं। दूसरों के प्रति जजमेंटल होने की यह आदत इतनी बढ़ जाती है, कि हमें अपने अलावा कुछ अच्छा नहीं लगता। जब हम किसी तरह की बहस में शामिल होते हैं तो हमारे शरीर में एड्रेनेलीन हार्मोन का स्तर बेहद बढ़ जाता है। इस दौरान आपको लगने लगता है, कि आपका आत्मसम्मान दावं पर लगा है, और अगर आप बहस में हार गए, तो बहुत बड़ी बेइज्जती हो जाएगी। दरअसल, हम सभी कम या ज्यादा कंट्रोल फ्रीक होते जा रहे हैं। किसी से गुस्सा या लड़ाई होने पर हम उसे खत्म नहीं करना चाहते, बल्कि सोचते हैं कि सामने वाले को नीचा दिखाएं और उसका कुछ नुकसान करें।
गलती की माफी कैसे मांगे- How to Apologize for a Mistake
ड्यूक यूनिवर्सिटी में एचआईवी पॉजिटिव लोगों पर हुई रिसर्च में किसी को माफ करने और बेहतर इम्यून सिस्टम में गहरा संबंध पाया गया। रिसर्चर्स ने यह भी पाया कि जो लोग बातों को सहजता से भूलकर आगे बढ़ जाते हैं, वह लंबे समय तक जीवित रहते हैं। माफ करना इतना भी मुश्किल नहीं है, जब आप भी किसी से लड़ाई झगड़े में फंस जाए, तो बात खत्म करने के लिए इन बातों का ध्यान रखें------
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🔸 जब आप किसी को माफ करते हैं तो वह आपके अपने आत्म संतोष के लिए है, कड़वी बातों को भूलकर आगे बढ़ने से आप खुश रहते हैं और बेहतर जिंदगी जीते हैं।
🔸 स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में फॉरगिवनैस प्रोजेक्ट चलाने वाले डॉक्टर फ्रेड लुस्कीन का कहना है, कि माफ करना सीखने का मतलब यह नहीं कि आप जिसे जरा भी पसंद नहीं करते, उससे दोस्ती करें या फिर उसे स्वीकार कर लें। मकसद है कि आपका नजरिया ऐसा हो कि आप अपने मन से शिकायतों का बोझ कम कर दें, इससे मन शांत रहता है।
🔸 कुछ लोग पुरानी बातों की भी गांठें मन में पाल कर रखते हैं, और भूल जाते हैं कि समय के साथ बीती बातों को भी छोड़ देना चाहिए। उनकी वजह से अपना आज खराब नहीं करना चाहिए।
माफी मांगने से कोई छोटा नहीं होता- No One is Smaller than an Apology
🔸 माफी मांगने से कोई इंसान छोटा या बड़ा नहीं होता है, बल्कि माफी मांगने से उस इंसान की परवरिश, संस्कार और बड़प्पन झलकता है।
🔸 मनोवैज्ञानिक कहते हैं, कि इंसान चाहे कितनी भी कोशिश कर ले लेकिन गलती कर ही बैठता है। क्योंकि गलती करना इंसान का एक ऐसा अवगुण है, चाहे आप कितनी भी कोशिश कर ले लेकिन कहीं ना कहीं, कभी ना कभी, कोई ना कोई त्रुटि रह ही जाती है। लेकिन गलती कर लेना या हो जाने के बाद माफी मांगना इंसान का सर्वश्रेष्ठ गुण है।
🔸 डॉक्टर फ्रेड लुस्कीन का कहना है कि जो लोग दूसरों से कम उम्मीद रखते हैं वह ज्यादा खुश व संतुष्ट रहते हैं, ऐसे लोग
पॉजिटिव सोच रखते हैं।
माफी मांगने से क्या होता है- What Happens When you Apologise
अगर कोई व्यक्ति गलती कर लेता है, और अपनी गलती करने पर तुरंत माफी मांग लेता है, तो सामने वाले का गुस्सा और नाराजगी काफी हद तक दूर हो जाते हैं।
माफी मांगना हमारे व्यक्तित्व का एक बहुत ही अच्छा और सुंदर गुण है। इसके साथ साथ किसी को माफ करना भी एक अच्छे व्यक्तित्व की पहचान है। माफी मांगने से अहंकार खत्म हो जाता है, और माफ कर देने से संस्कार बनते हैं।
आपके अंदर भरपूर ऊर्जा है अब यह आप पर निर्भर करता है कि आप उसे पुरानी बातों को बिसुरने में लगाते हैं, या फिर अपना जीवन बेहतर बनाने में।
जो व्यक्ति आपको चोट पहुंचाना चाहता है, उसकी सफलता इस बात में है, कि वह आपको कितनी तकलीफ देता है और आपकी सफलता इसमें है, कि आप बिना विचलित हुए उसकी बात सुनते हैं।
आप में अगर बदले, दूसरों को सबक सिखाने की भावना प्रबल रहेगी, तो वही व्यवहार आपके बच्चे करेंगे। बच्चों का व्यवहार
सकारात्मक बनाने के लिए जिम्मेदारी आपकी है, इसलिए जीवन में जाने भी दो यारो वाला नजरिया रखें।
जब मन पर
नकारात्मकता हावी होने लगे, तो चीखने चिल्लाने की वजह गहरी सांस लें, मेडिटेशन करें, कुछ क्रिएटिव करें और फर्क देखें।
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